Kuwait Political Crisis: तेल से मालामाल खाड़ी देश कुवैत में इन दिनों राजनीतिक संकट बना हुआ है. बता दें कि यहां के नए अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है. साथ ही देश के कुछ कानूनों को भी भंग कर दिया है. संसद भंग करने के बाद अमीर शेख ने कहा कि वे लोकतंत्र के जरिए देश को नुकसान पहुंचाने की अनुमति कभी नहीं देंगे.
दरअसल, बीते शुक्रवार को कुवैत के अमीर ने देश की संसद को भंग कर दिया. कुवैत की मीडिया से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अमीर शेख ने संसद भंग करने के बाद कुछ सरकारी विभागों को अपने कंट्रोल में ले लिया है. इसके साथ ही उन्होंने संविधान के कुछ अनुच्छेदों को भी निलंबित कर दिया है.
Kuwait’s Emir Sheikh Meshal al-Ahmad al-Sabah dissolves parliament, citing political deadlock and corruption.
The move, which also suspends key constitutional articles for up to 4 years, raises concerns about political freedoms in the region. #KuwaitPolitics #MiddleEastn pic.twitter.com/VCAnJYn4jg
— thehardnewsdaily (@TheHardNewsD) May 11, 2024
कुवैत के अमीर शेख ने मीडिया में कहा कि असेंबली को भंग करने और संविधान के कुछ अनुच्छेद को चार साल से ज्यादा के लिए निलंबित किया गया है. इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा. कुवैत की मीडिया के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी.
क्यों किया संसद को भंग?
कुवैत की मीडिया रिपोर्ट के मतुाबिक, अमीर शेख ने अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है. पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है, भ्रष्टाचार की वजह से देश का माहौल खराब हो रहा है. दुर्भाग्य की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है. साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है.
राजनीतिक कलह में घिरा कुवैत
कुवैती अमीर ने कहा, ‘मैं देश को बर्बाद करने के लिए लोकतंत्र के गलत इस्तेमाल की अनुमति कभी नहीं दूंगा, क्योंकि कुवैत के लोगों का हित सबसे ऊपर है.’ बताते चलें कि कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है. यहां भी अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही व्यवस्था है, लेकिन यहां पर विधायिका पड़ोसियों के मुकाबले अधिक प्रभाव रखती है.