Brazil: शिखर सम्मेलन में बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़- “जज कहीं के राजकुमार नहीं और न ही संप्रभु…”

Shivam
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CJI DY Chandrachud News: जज न तो कहीं के राजकुमार हैं और न ही संप्रभु. जज का काम सेवा देना होता है. जज सार्वजनिक पद पर बैठा ऐसा पदाधिकारी है, जो अवमानना के लिए दोषी को दंडित करता है और दूसरे के जीवन पर महत्वपूर्ण निर्णय लेता है. इसलिए उसके फैसले और निर्णय लेने के रास्ते पारदर्शी होने चाहिए. ये बाते चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ (Dr. DY Chandrachu) ने ब्राजील के रियो डी जनेरियो में शिखर सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में कही.

एआई की मदद से यूं ही नहीं लिया जा सकता कोई निर्णय- डीवाई चंद्रचूड़

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक न्यायाधीश का निर्णय और उस फैसले तक पहुंचने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए. वह सभी को एक साथ चलने वाला होना चाहिए. उनहोंने आगे कहा कि “आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर बातचीत कर रहे हैं. एआई की मदद से यूं ही कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है. क्योंकि, इसका स्पष्टीकरण होना चाहिए कि इस तरह का फैसला क्यों और किस आधार पर लिया गया, यह जानना ही चाहिए. जज के रूप में, हम न तो कहीं के राजकुमार हैं और न ही संप्रभु जो किसी भी फैसले के स्पष्टीकरण को दरकिनार कर दें. हम सेवा करने वाले लोग हैं और लोगों के अधिकारों की रक्षा करने वाले समाज के प्रवर्तक हैं.”

न्यायिक प्रक्रियाओं में नवीनता और पारदर्शिता होनी चाहिए

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि एक जज का निर्णय और उस तक पहुंचने का रास्ता पारदर्शी होना चाहिए. जज का फैसला कानून की पढ़ाई करने वाले और आम लोगों की समझने योग्य होना चाहिए. जज की हमेशा यही कोशिश होनी चाहिए कि वह सभी के लिए एक साथ चलने के लिए हो. दुनिया भर की न्यायिक प्रणालियों में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में सीजेआई ने कहा, न्यायिक प्रक्रियाओं में नवीनता और पारदर्शिता होनी चाहिए. उन्‍होंने आगे कहा, प्रौद्योगिकी ने कानून और समाज के बीच संबंधों को मौलिक रूप से बदल दिया है. उदाहरण के रूप जहां प्रौद्योगिकी न्याय की पहुंच न सिर्फ बढ़ा सकती है, उनमें सुधार के लिए पूर्व में लिए गए निर्णयों को भी सामने रख सकती है.

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