दुनिया का सबसे शांत कमरा, जहां घंटे भर भी नहीं रूक सकता इंसान, जानिए क्यों हुआ इसका निर्माण

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Quietest Place: आपने शोर से परेशान होते हुए तो कई लोगों को देखा होगा, लेकिन क्‍या आपने किसी को शांति से परेशान होते हुए देखा है? आपको यह सवाल बेसक ही कुछ अजीब लगा होगा कि भला लोग शांति से कैसे परेशान हो सकते है. लेकिन यह बात गौर करने वाली है. क्‍योंकि शांति भी लोगों को उतनी ही दिक्‍कत पैदा करती है जितना की शोर और इस बात को सही साबित करता है अमेरिका के मिनियापोलिस में स्थित एक अनोखा कमरा.

आपको बता दें कि इस कमरें में इतनी शांति है कि लोग यहां महज एक घंटे भी नही रूक पाते है. यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे शांत कमरा (Quietest Place) कहा जाता है. इस कमरे के भीतर जाने वाले लोग अक्‍सर कान के अंदर रिंगिंग की आवाज सुनने की बात कहते हैं.

नॉइज लेवल माइनस 24.9 डेसीबल

दरअसल, अमेरिका के मिनियापोलिस में स्थित ऑरफील्ड लैब में बनाए गए एनेकॉइक टेस्ट चैंबर (Anechoic Test Chamber)) को दुनिया की सबसे शांत जगह कहा जाता है. एनेकॉइक शब्द का मतलब होता है जीरो एको (Zero Echo). बता दें कि इस कमरे की दीवारों और सीलिंग पर एक खास तरह की फाइबरग्लास का कोट लगाया गया है, जो अंदर के साउंड को अब्जॉर्ब करने का काम करता है. ऐसे में इस कमरे के अंदर का बैकग्राउंड नॉइज लेवल माइनस 24.9 डेसीबल है. जबकि इंसानों के सुनने की रेंज जीरो से 120 डेसीबल तक होती है. अर्थात इंसान निगेटिव डेसीबल वाली आवाज को सुनने में सक्षम नहीं होता है.

इंसान खुद बन जाता है एक आवाज

इस कमरे को कुछ इस प्रकार तैयार किया गया है कि बाहर से आने वाली कोई भी आवाज अंदर प्रवेश न कर सके. य‍ह कमरा इतना शांत है कि आप यहां अपने दिल के धडकनों को भी सुन सकते है. इस कमरे में कोई भी इंसान 45 मिनट से अधिक समय तक नही रह सकता है.

वहीं, लैब के संस्थापक स्टीवन ऑरफील्ड के अनुसार, इस चैंबर में आप अपने अंगों के भी आवाज को सुन सकते है. उनका कहना है कि एनेकॉइक चैंबर के अंदर जाने के बाद इंसान खुद एक आवाज बन जाता है.

क्‍यों किया गया है इस चैंबर का निर्माण?

अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस चैंबर को बनाया क्‍यों गया है, जो आपको बता दें कि इसका निर्माण किसी तनावग्रस्‍त लोगों के इलाज के लिए नहीं बल्कि एस्ट्रोनॉट्स के लिए किया गया है. दरअसल, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा अक्सर अपने एस्ट्रोनॉट्स को यहां भेजती है. वो यहां प्रैक्टिस करते हैं और अंतरिक्ष के सायलेंस से लड़ने के लिए खुद को तैयार करते हैं. इसके अलावा, बड़ी संख्या में लोग यहां मेडिटेट करने के लिए भी आते हैं. यह कमरा आसानी से किसी के बैलेंस और ओरिएंटेशन को प्रभावित कर सकता है.

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