Dubai Unlocked: दुबई में प्रॉपर्टी खरीद मामले को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है. इस रिपोर्ट में बता गया है कि किस-किस देशों में रह रहे लोग दुबई में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि दुबई में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी भारतीयों की है. जबकि दूसरे नंबर पर पाकिस्तानी हैं, जो कि बेहद ही चौकाने वाला आकड़ा है.
आर्थिक स्थिति के मामले में पाकिस्तान कंगाल है, लेकिन यहां रईसों की कमी नहीं है. दुबई में इनके आलीशान बंगले और घर होने की बात सामने आई है. इस बात का खुलासा एक वैश्विक पत्रकारिता प्रोजेक्ट में किया गया है, जिसका नाम दुबई अनलॉक्ड (Dubai Unlocked) है. अनलॉक्ड के आकड़ों के अनुसार, दुबई में पाकिस्तानियों की कुल प्रॉपर्टी की कीमत करीब 11 अरब डॉलर है.
दुबई में काले धन को लगा रहे ठिकाने
दरअसल, पिछले कुछ दशकों में दुबई के रियल एस्टेट में बड़ा उछाल देखने को मिला है. एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर से ऐसे लोगों ने भी यहां की प्रॉपर्टी में निवेश किया है, जिन पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं. रिपोर्ट का कहना है कि आर्थिक अपराधी अपने काले पैसे को यहां के रियल एस्टेट में ठिकाने लगा रहे हैं. हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि जितने भी लोग दुबई में निवेश कर रहे है, उन सभी के पास काला धन ही है. इसके अलावा डेटा में नाम होना वित्तीय धोखाधड़ी का सबूत नहीं है.
भारतीयों की कितनी संपत्ति
आपको बता दें कि यूएई में सबसे ज्यादा भारतीय लोग रहते हैं. इसके बाद पाकिस्तानी दूसरे नंबर पर आते है. दुबई अनलॉक्ड के डेटा के अनुसार, यहां लगभग 29,700 भारतीयों ने 35000 प्रॉपर्टी खरीद रखी है. इन संपत्तियों की कुल अनुमानित कीमत करीब 17 अरब डॉलर बताई जा रही है. जबकि 17000 पाकिस्तानी 23000 संपत्तियों के मालिक हैं.
पाकिस्तान के नेताओं का नाम
हालांकि पाकिस्तानी नेताओं और सेना के अधिकारियों पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं, कि वह अपने अवैध धन को दुबई के रियल एस्टेट में निवेश करते हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान को लेकर बड़े खुलासे किए हैं. बता दें कि दुबई में प्रोपर्टी खरीदने वाले लोगों में रईसों में दिवंगत पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ, पाकिस्तान के राष्ट्रपति असिफ अली जरदारी का परिवार, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो, उनकी बहन आसिफा भुट्टो और भाई बख्तावर की प्रॉपर्टी भी दुबई में है.
दरअसल, इस रिपोर्ट में साल 2020 से 2022 तक के डेटा का उपयोग किया गया है. इस डेटा में निवास की स्थिति, आय के स्रोत, किराए के आय की घोषणा शामिल नहीं है.
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