Heat Wave Red Alert: देश के कई हिस्सों में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी को देखते हुए मौसम विभाग ने देश के कई इलाकों में रेड अलर्ट जारी किया है. वहीं, लू के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मौसम विभाग का कहना है कि घर से बाहर निकलने के दौरान लोग सावधानी बरतें. इन सब के बीच क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इंसानी शरीर कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है. वहीं, शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए क्या करती है…?
दरअसल, आपने ये अनुभव जरूर किया होगा कि ज्यादा तापमान हमारे शरीर के साथ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. कई लोग तो ज्यादा तापमान बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और इस कारण उनकी मौत भी हो जाती है. वहीं, कुछ लोगों की शरीर ये गर्मी बर्दाश्त कर लेती है और कड़ाके की ठंड में भी वो आसानी से सर्वाइव कर पाते हैं. इस ऑर्टिकल में आपको बताते हैं आखिर इंसानी शरीर किस हद तक की गर्मी को सह सकता है.
इंसानी शरीर केवल इतनी गर्मी कर सकता है बर्दाश्त
वैज्ञानिकों के अनुसार इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट यानी 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है. विज्ञान के अनुसार कोई भी इंसान अधिक से अधिक 42.3 डिग्री सेल्सियस में आसानी से सर्वाइव कर पाता है. विज्ञान के अनुसार इंसान गर्म रक्त वाला स्तनधारी जीव है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसान का शरीर एक खास प्रकार के तंत्र ‘होमियोस्टैसिस’ से संरक्षित होता है. इस प्रक्रिया के अंतर्गत इंसानी दिमाग हाइपोथैलेमस से शरीर के तापमान को जिंदा रहने की सीमा में बनाए रखने के लिए ऑटो-कंट्रोल्ड होता है.
कितना तापमान होता है हानिकारक
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 तक गर्मी से होने वाली मौतों का आंकड़ा 237 प्रतिशत तक बढ़ेगा. विज्ञान का मानना है कि इंसानी शरीर आसानी से 35 डिग्री सेल्सियस से 37 डिग्री सेल्सियस का तापमान सह लेता है. वहीं, 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान परेशानी में डालने वाला होता है.
अगर पिछले समय में किए गए कुछ अध्ययनों को मानें तो इंसानों के लिए 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तपमान बर्दाश्त के बाहर चला जाता है. इस स्तर का तापमान जान को जोखिम पैदा करने वाला होता है. अगर मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट पर नजर डालें तो 2000-04 और 2017-21 के बीच 8 साल के दौरान भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप रहा. इन कुछ सालों के बीच में गर्मी के कारण मौतों में 55 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी.
गर्मी कैसे बनती है मौत की वजह
आपको बता दें कि इंसानी शरीर पर बढ़ते तापमान का असर सीधा नजर आने लगता है. जब कोई भी व्यक्ति गर्मी के कारण बीमार पड़ता है तो डॉक्टर उसके लिए ‘हीट स्ट्रेस’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं. जब गर्मी के कारण हमारा शरीर काफी गर्म हो जाता है तो वह अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश करता है. शरीर किस हद तक अपने कोर तापमान को मेंटेन कर पाती है ये निर्भर करता है वातावरण और शारीरिक स्थितियों के ऊपर.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तापमान 45 डिग्री से ज्यादा है तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर कम होने जैसी शिकायतें भी देखने को मिलती है. अगर कोई व्यक्ति 48 से 50 डिग्री या उससे ज्यादा तापमान में बहुत देर रह जाते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह जवाब दे सकती हैं और मौत भी हो सकती है.
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