Eranian President Ebrahim Raisi: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का निधन एक हेलिकॉप्टर हादसे में हो गया. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ इस हादसे में विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन के मारे जाने की भी खबर है. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत से क्षेत्रीय राजनीति को एक बड़ा झटका लगा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के मौत पर दुख जताया है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना. दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है.
बीते 13 मई को ही भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन के लिए एक समझौते पर दस्तखत किए थे. ये समझौता एक महत्वपूर्ण समझौता है. इस समझौते से अमेरिका, चीन और पाकिस्तान को भी मिर्ची लगी थी. वहीं, भारत इस समझौते पर आगे बढ़ा और अमेरिका को दरकिनार कर दिया.
रईसी के कार्यकाल में हुआ चाहबार पर सझौता
जानकारी दें कि 13 मई को ही भारत और ईरान के बीच में चाबहार बंदरगाह को लेकर समझौता हुआ है. ये बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. इस चाबहार बंदरगाह पर भारी मालवाहक जहाज आसानी ने आ-जा सकते हैं. इस बंदगाह के कारण भारत, ईरान, अफगानिस्तान और यूरेशिया आपस में आसानी से जुड़ जाएंगे. वहीं. इस समझौते को चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का जवाब माना जा रहा है.
ईरान पर अमेरिका ने पहले ही कई पाबंदियां लगा रखी हैं. जिसमें परमाणु कार्यक्रम, मानवाधिकार उल्लंघन और दूसरे देशों में अपने प्रॉक्सी को मदद करना शामिल है. इन्हीं पाबंदियों के कारण कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने ईरान के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़ लिए हैं. अगर अमेरिका ने कार्रवाई की तो उसकी जद में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड भी आ सकती है, जिसने चाबहार के लिए समझौता किया है.
जानकारी दें कि इस चाबहार समझौते को लेकर भारत ने 2023 में काफी जोर दिया था. हालांकि, इसी के तहत साल 2016 में एक समझौता हुआ था. 13 मई को हुआ समझौता इसी का विस्तृत रूप है. इस साल जनवरी में विदेशमंत्री एस जयशंकर ने ईरान का दौरा किया. एस जयशंकर ने इस दौरे के दौरान रईसी से भी मुलाकात की थी. वहीं, भारत-ईरान संबंधों को और मजबूती देने रईसी अगले महीने भारत आने वाले थे.
ज्ञात हो कि इब्राहिम रईसी का जन्म 1960 में ईरान के पवित्र शहर मशहद में हुआ था. बताया जाता है कि उनके पिता एक मौलवी थे. जब रईसी 5 साल के थे, उसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी. इब्राहिम रईसी जब 15 साल के हुए तो उन्होंने कोम शहर के एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू की थी. वह छात्र जीवन में ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. जब वह 20 साल के हुए तो उन्हें तेहरान के पास स्थित कराज का सरकारी वकील बनाया गया.उन्हें 2014 में ईरान का महाभियोजक बनाया गया था.
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