South africa Supreme Court: दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष न्यायालय ने एक बड़ा फैसला सुनाया और पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को आम चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य घोषित कर दिया. साउथ अफ्रीका की सुप्रीम कोर्ट द्वारा ये फैसला सोमवार को दिया गया.
दरअसल, कोर्ट ने उनकी आपराधिक सजा का हवाला दिया और ये इतना बड़ा फैसला सुनाया. आपको जानना चाहिए कि संवैधानिक न्यायालय (कॉनकोर्ट) ने 2021 में अदालत की अवमानना के लिए जुमा को 15 महीने की जेल की सजा सुनाई थी. इसी सजा के आधार पर चुनाव आयोग ने जुमा की उम्मीदवारी को अयोग्य बताया है. साउथ अफ्रीका के सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा और जैकब जुमा को आम चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य घोषित कर दिया.
देश में होने वाले चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को उमखोंटो वी सिजवे (एमके) पार्टी के नेता के तौर पर नामित किया जा रहा था. जब वो उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए आगे बढ़े तो यहां की आईईसी ने घोषणा की कि जुमा संवैधानिक प्रावधान के चलते चुनाव नहीं लड़ सकते. ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिण अफ्रीका के कानून के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति को 12 माह से अधिक की सजा होती है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता है.
साउथ अफ्रीका के सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
साउथ अफ्रीका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति लियोना थेरॉन ने विगत सोमवार को ये फैसला सुनाते हुए कहा कि जुमा को एक अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था. उन्हें 12 महीने से अधिक कारावास की सजा हुई थी. देश के कानून के मुताबिक, सजा पूरी होने के पांच साल से पहले वह संसद के सदस्य बनने और चुनाव में खड़े होने के योग्य नहीं हैं.
जुमा सत्ता से क्यों हुए बाहर?
मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को उनके दूसरे कार्यकाल पूरा होने के कुछ महीने पहले ही एएनसी द्वारा 2018 में बाहर कर दिया गया था. ऐसा कहा जाता रहा है कि विवादास्पद गुप्ता परिवार के साथ उनकी निकटता काफी बढ़ती जा रही थी. कहा यह भी जाता रहा है कि साल 2016 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व उप वित्त मंत्री जोनास मेबिसी ने एक बड़ा आरोप जुमा पर लगाया था और कहा था कि गुप्ता परिवार ने उन्हें अगला वित्त मंत्री बनाने के लिए 375 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी. इसी के साथ यह शर्त भी रखी कि वित्त मंत्री बनने पर उन्हें गुप्ता परिवार की सारी बातें माननी होगी.
इस आरोप के बाद दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने एक लोकपाल रिपोर्ट जारी की, इस रिपोर्ट में ये आरोप लगा कि गुप्ता परिवार और तत्कालीन राष्ट्रपति जुमा ने सरकारी अनुबंधों को पाने के लिए एक-दूसरे की मदद की है. इसके बाद यह मामला बिगड़ता गया. आगे साल 2017 में एक लाख से ज्यादा ई-मेल लीक हो गए, इन लीक हुए ई-मेल में इस बात की पूरी जानकारी थी कि कैसे परिवार ने अपना प्रभुत्व दिखाने के साथ दक्षिण अफ्रीका के खजाने और उसके संसाधनों को लूटा है.
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