इब्राहिम रईसी की मौत के बाद आखिर काले रंग के कपड़े से क्यों ढकी गई राष्ट्रपति की चेयर? जानिए

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Ibrahim Raisi Death: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत एक हेलिकॉपटर दुर्घटना में हो गई. उनके निधन से पूरे ईरान में शोक की लहर है. देश में 5 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है. उनके शोक में भारत का भी झंडा एक दिन के लिए आधा झुकाया गया है. इसको लेकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि इस दुख की घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है. इन सब के बीच एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है. तस्वीर में देखा जा सकता है कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद उनकी कुर्सी को काले रंग के कपड़े से ढक दिया गया है. कुछ लोगों का कहना है कि यह शोक मनाने का संकेत है. हालाकि इसके पीछे एक खास धार्मिक वजह भी है.

दरअसल, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की आकस्मिक मौत के बाद एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई. इस बैठक के बाद एक शोक संदेश जारी किया गया. इस संदेश में कहा गया कि रईसी ने देश की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है. वहीं, इसके साथ एक फोटो को जारी किया गया, जिसमें देखा जा सकता है कि रईसी की कुर्सी को काले रंग के कपड़े से ढका गया है और मेज पर उनकी तस्वीर रखी हुई है.

इसके पीछे का कारण जानिए

इब्राहिम रईसी की कुर्सी को काले रंग के कपड़े से ढकने के पीछे की वजह है कि उनकी मौत के बाद शोक व्यक्त किया जा रहा है. वहीं, इसके पीछे एक धार्मिक सिद्धांत भी है. रईसी हमेशा काले रंग की ही पगड़ी पहना करते थे. चूकी वह इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद के वंशज माने जाते हैं. इस वजह से वह हमेशा काली पगड़ी पहना करते थे. रईसी की ये काली पगड़ी इस बात का संकेत था कि वो पैगम्बर मोहम्मद से सीधे जुड़े हुए हैं. यही वजह है कि ईरानी मंत्रीमंडल ने इब्राहिम रईसी के निधन के बाद उनकी कुर्सी को काले रंग से ढक दिया है.

ज्ञात हो कि इब्राहिम रईसी का जन्म 1960 में ईरान के पवित्र शहर मशहद में हुआ था. बताया जाता है कि उनके पिता एक मौलवी थे. जब रईसी 5 साल के थे, उसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी. इब्राहिम रईसी जब 15 साल के हुए तो उन्होंने कोम शहर के एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू की थी. वह छात्र जीवन में ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. जब वह 20 साल के हुए तो उन्हें तेहरान के पास स्थित कराज का सरकारी वकील बनाया गया.उन्हें 2014 में ईरान का महाभियोजक बनाया गया था.

यह भी पढ़ें: रईसी के निधन से चाबहार समझौते पर क्या पड़ेगा असर, अगले महीने करने वाले थे भारत की यात्रा

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