China Taiwan War: चीन और ताइवान के बीच जंग शुरू होने की आहट सुनाई देने लगी है. चीन की ओर से ताइवान पर दबाव बनाने के लिए युद्ध अभ्यास और द्वीप के चौतरफा घेराव कर लिया गया है. वहीं, ताइवान भी जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. चीन-ताइवान से शुरू होने वाले जंग को लेकर सुपर पावर अमेरिका भी सतर्क हो गया है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका चीन का साथ देगा या चीन का…?
दरअसल, चीन और ताइवान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. चीन ताइवान की समुद्री सीमा पर घेराव कर लिया है. ऐेसे में अब ये डर बना हुआ है कि चीन ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है. चीन और ताइवान के बीच शुरू होने वाले जंग ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. हालांकि, ताइवान ने भी युद्ध की तैयारी कर ली है. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने चीन के अभ्यास का जवाब देने के लिए समुद्री, वायु और जमीनी सेना भेजी है. हमारी सीमा चीन की हर गतिविधि पर नजर बनाई हुई है.
चीन से लड़ने के लिए ताइवान पूरी तरह सक्षम
गौरतलब है कि चीन के इस अभ्यास को दुनिया एक नई जंग के तौर पर भी देख रही है. चीन की इस कार्रवाई के जवाब के लिए ताइवान भी पूरी तरह तैयार है. ताइवान रक्षा मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, ताइवानी सैनिक चीन के सभी लड़ाकू विमानों और नौसैनिक जहाजों पर कड़ी नजर रखे हुआ है. ताइवान ने 49 चीनी विमानों, 19 युद्धपोतों और सात तट रक्षक जहाजों का पता लगाया है. ताइवान सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वो अपने देश की सुरक्षा करने में सक्षम है. ताइवान ने चीन के ऊपर एकतरफा सैन्य उकसावे और लोकतंत्र और आजादी को खतरे में डालने का आरोप लगाया है.
जंग से नहीं डर रहा ताइवान
चीन और ताइवान की गतिविधि को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि दोनों देशों में कभी भी जंग छिड़ सकती है. हालांकि, ताइवान में जीवन सामान्य रूप से चल रहा है. ताइवानियों में चीन का तनिक भी डर नजर नहीं आ रहा है. ताइवानियों का कहना है कि अगर चीनी हमारे देश पर हमला करते है तो भी कब्जा नहीं कर पाएंगे. ताइवानी जंग से नहीं डरते हैं.
अमेरिका किसका देगा साथ?
दोनों देशों के बीच छिड़ने वाली जंग पर सबकी नजरें बनी रहती हैं. ऐसे में सवाल ये है कि यदि युद्ध छिड़ता है तो अमेरिका किसका साथ देगा. बताते चलें कि अमेरिका ताइवान के साथ बहुत अच्छे संबंध रखता है. साथ ही अमेरिका, ताइवान को अपनी रक्षा मदद देने के लिए भी बाध्य है. हालांकि अमेरिका यह भी कबूल करता है कि ताइवान चीन चीन का हिस्सा है. लेकिन उसने कभी इस मुद्दे पर चीन समर्थन नहीं किया है.
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