गुरुत्वाकर्षण से कहीं ज्यादा ताकतवर है ये शक्ति, जानकर हो जाएंगे हैरान
आपने कभी सोचा है दुनिया चलाने वाली ताकतें कैसे अस्तित्व में आईं? इस सवाल का जवाब तलाशते हुए वैज्ञानिकों ने कई खोज की. इसको लेकर थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट फ्रैंक क्लोज ने एक CHARGE: Why Does Gravity Rule? नामक किताब भी लिखी.
इसमें उन मूल ताकतों को समझाया गया है. इनकी नजर में पृथ्वी के लिए चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण से भी ज्यादा ताकतवर है. किताब में उन्होंने ये समझाने का प्रयास किया है. धरती पर चुंबकत्व कैसे विकसित हुआ.
आज से 5 अरब साल पहले जब धरती बनी, तब ये गर्म प्लाज्मा थी. इसमें इलेक्ट्रिक करंट घूमता था. इस कारण मैग्नेटिक फील्ड बना. जैसे-जैसे मैग्मा ठंडा हुआ पृथ्वी के सॉलिड आउटर क्रस्ट में बदल गया. यह चुंबकत्व लौह खनिजों में लॉक हो गया.
आपको बता दें कि आज धरती के लिक्विड कोर में इलेक्ट्रिक करंट बनता है. इससे एक चुंबकीय क्षेत्र बनता है, जो हमारे वायुमंडल से भी आगे तक फैला हुआ है.
फ्रैंक क्लोज के अनुसार चुंबकत्व बिजली का एक रूप है. क्लोज ने कहा, 'प्राचीन चुंबकत्व ने धरती के क्रस्ट पर गहरी छाप छोड़ी, जहां यह हमारे ग्रह को कुछ मामलों में गुरुत्वाकर्षण से भी ज्यादा ताकत से प्रभावित करता है.
दरअसल, लगभग 4 बिलियन साल पहले धरती की सतह ठंडी हुई. इसपर प्रचुर मात्रा में पाया गया, जो चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में आकर चुंबकीय हो गया.
बार मैग्नेट और आर्यन फिलिंग्स के जरिए इसे दिखाया जा सकता है, जो खुद से चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में अलाइन करता है. पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र काफी हद तक मैग्नेट जैसा है, जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव तक जाता हैं.
चुंबकीय चट्टानें जिन्हें लोडस्टोन या मैग्नेटाइट कहा जाता है, दुनिया के कई हिस्सों में मिली हैं. इन चट्टानों में उनके चुंबकीय गुण मौजूद हैं जो प्राचीन चुंबकीय ताकतों की ओर इशारा करते हैं.
चुंबकत्व की खोज कैसे हुई, इसके बारे में स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है. मैग्नस नाम के एक गडरिये की कहानी दोहराई जाती है जिसके जूतों में लगीं कीलों को मैग्नेटाइट ने जकड़ लिया था.
इंसान ने हजारों साल पहले चुंबकत्व की ताकत पहचान ली थी. 16वीं सदी आते-आते, कई विदेशी यात्रियों ने पूर्वी भारत और चीनी तट से चुंबकीय पत्थरों के मिलने का ब्योरा दर्ज किया है.
फ्रैंक क्लोज अपनी किताब CHARGE: Why Does Gravity Rule? में यह बताते हैं कि कैसे चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण की छाया में कहीं दब सा गया.