India-Pakistan Relations: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 25 साल बाद अपनी गलती को स्वीकारा है. सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का अध्यक्ष चुने जाने के बाद पार्टी की आम परिषद को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने भारत के साथ किए धोखे का जिक्र किया. नवाज शरीफ ने कहा कि हमने अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा हस्ताक्षरित समझौते का ‘उल्लंघन’ किया है.
भारत को दिया था धोखा
दरअसल, आम परिषद को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा कारगिल में किए गए हमले का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए. उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आये और हमारे साथ समझौता किया. लेकिन, हमने उस समझौते का उल्लंघन किया…यह हमारी गलती थी. हमने वाजपेयी को ही नहीं बल्कि भारत को भी धोखा दिया था.
जानिए क्या बोले नवाज शरीफ
पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण की 26वीं वर्षगांठ मनाने के दौरान पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि ‘‘राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए पांच अरब अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी लेकिन मैंने इनकार कर दिया. अगर (पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान खान जैसे व्यक्ति मेरी सीट पर होते तो उन्होंने क्लिंटन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता.
आखिर क्या था लाहौर समझौता?
बता दें कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने 21 फरवरी, 1999 को लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस दौरान दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता को लेकर द्विपक्षीय समझौता और शासन संधि पर समझौता हुआ.
इस समझौते की विषय वस्तु में भारत और पाकिस्तान ने शांति, स्थिरता, आपसी प्रगति के दृष्टिकोण, शिमला समझौते और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उसी वर्ष दोनों देशों की संसदों द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी. लेकिन कुछ महीने बाद जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण कारगिल युद्ध हुआ. जिसे अब पाकिस्तान अपनी गलती मान रहा है.
इन समझौते पर राजी हुए थे भारत – पाकिस्तान
- जम्मू-कश्मीर सहित सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए अपने प्रयास तेज करेंगे.
- एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और दखलंदाजी से बचना होगा.
- सहमत द्विपक्षीय एजेंडे के शीघ्र और सकारात्मक परिणाम के लिए अपनी समग्र और एकीकृत वार्ता प्रक्रिया को तेज करेंगे.
- परमाणु हथियारों के आकस्मिक या अनधिकृत उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे.
- संघर्ष की रोकथाम के उद्देश्य से परमाणु और पारंपरिक क्षेत्रों में विश्वास निर्माण के उपायों को विस्तृत करने के उद्देश्य से अवधारणाओं और सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे.
- आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा करते हैं और इस खतरे से लड़ने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि करते हैं.
- सभी मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं को बढ़ावा देगा और उनकी रक्षा करेगा.
ज्ञात हो कि इस समझौते पर पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. जिसका बाद में पाकिस्तान ने उल्लघन किया और पाकिस्तानी सैनिकों ने कश्मीर में घुसपैठ की. जिसके बाद दोनों देशों के बीच कारगिल युद्ध हुआ.