RBI: हाल में भारतीय रिजर्व बैंक ने जमकर सोने की खरीदारी की है. अगर आंकड़े के हिसाब से देखा जाए तो चार महीने में केंद्रीय बैंक ने 24 टन सोना खरीदा है. अब आरबीआई को एक बड़ी सफलता मिली है. आरबीआई ने इंग्लैंड से अपना 100 टन से अधिक सोना वापस मंगाकर अपने तिजोरी में रख लिया है. दरअसल साल 1991 के बाद यह पहला अवसर है जब केंद्रीय बैंक ने अपने स्थानीय भंडार में इतना सोना ट्रांसफर किया है. आने वाले दिनों में और 100 टन सोना वापस लाया जा सकता है. ताजा आंकड़ों के अनुसार, मार्च के अंत तक आरबीआई के पास 822.1 टन सोना था. इसमें से 413.8 टन विदेशों में रखा हुआ है और 100.3 टन सोना भारत में है. इसके अलावा 308 टन सोना भारत में नोट जारी करने के लिए रखा गया है.
जानकारी के मुताबिक, भारत के भीतर सोना जमा करने के लॉजिस्टिक कारण हैं. रिजर्व बैंक अपने स्टोरेज को डाइवर्सिफाई कर रहा है, जिसके चलते विदेशों में जमा भारतीय सोने को अपने देश मंगाया जा रहा है. बताया कि रिजर्व बैंक ने बीते कुछ सालों में विदेशों में सोने के बढ़ते भारतीय स्टॉक के कारण इसे अपने देश वापस लाने का फैसला किया यगा है.
लंदन से वापस लाया जाएगा सोना
परम्परागत रूप से दुनिया के ज्यादातर देश लंदन में ही अपना सोना रखते आए हैं. भारत भी अपना सोना लंदन में रखता था लेकिन अब उसने फैसला लिया है कि अपने सोने की बड़ी मात्रा देश के अपने भंडार में रखा जाएगा. बता दें कि आरबीआई लगातार नया सोना खरीद भी रहा है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 में 34.3 टन जबकि 2023-24 में 27.7 टन नया सोना खरीदा. भारत का लगातार सोना खरीदना यह दर्शाता है कि उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत है और वो अपने वित्तीय सुरक्षा प्रबन्धन को मजबूत कर रहा है.
1991 में विदेशों में गिरवीं रखा था सोना
जहाँ आज रिजर्व बैंक विदेशों से अपना सोना वापस ला रहा है, वहीं लगभग 3 दशक पहले की कांग्रेस-तीसरे मोर्चे की सरकारों ने भारत का सोना विदेश में गिरवीं रख दिया था. उस दौर में देश में चंद्रशेखर की सरकार थी. भारत का खजाना खाली था और आर्थिक स्थित डगमगा गई थी. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2500 करोड़ रूपये पर पहुंच चुका था, ये रकम बस इतनी थी, जिससे सिर्फ 15 दिन का आयात हो सकता था. इस आर्थिक संकट के चले भारत को अपना सोना विदेशो में गिरवी रखना पड़ा.
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