Indian Navy: भारतीय नौसेना अपने प्रोजेक्ट-75I के तहत छह पनडुब्बियों की तलाश कर रही है. ऐसे में जर्मनी ने भारत के सामने अपनी 214-क्लास पनडुब्बियों को पेश किया है. जिसमें 212 सीडी पनडुब्बियों के उन्नत तकनीकी पहलुओं को एआईपी टेक्नोलॉजी से लैस करता है. ये पनडुब्बियां विशेष रूप से नॉर्वेजियन नौसेना के लिए बाल्टिक सागर में उनकी परिचालन आवश्यक्ताओं के हिसाब से बनाई गई हैं.
बता दें कि इन पनडुब्बियों में लिथियम-आयन बैटरी से लैस फ्यूल सेल एयर-इंडिपेंडेट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक होगी, जो लंबे समय तक समुद्र की गहराइयों में छिपने और तेज गति से बिना अपनी लोकेशन बताए अपने लक्ष्य तक पहुंचने की क्षमता देगा. ऐसे में 214-क्लास पनडुब्बियों को भारत की आवश्यक्ता के अनुसार बनाया जाएगा. इसमें एआईपी टेक्नोलॉजी से जुड़े सबसे उन्नत बदलाव दिखेंगे. इसके अलावा इसमें एक उन्नत सेंसर और युद्ध प्रणाली के साथ ही स्टील्थ फीचर होगा, जो इसे दुश्मन के रडार पर नहीं आने देगा.
Indian Navy के लिए होगा गेम चेंजिंग
एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट-75आई के टीकेएमएस प्रोग्राम हेड डॉ. क्रिश्चियन फ्रुहलिंग ने बताया कि इसमें हमें सबसे बड़ा फायदा हमारा अनोखा एआईपी समाधान है. उन्होंने बताया कि पनडुब्बी की डिजाइन HDW क्लास 214 से निकली है, जो दुनिया की कई नौसेनाओं की सेवा में शामिल है. इसमें ईंधन-सेल-आधारित एआईपी सिस्टम और लिथियम-आयन बैटरी का संयोजन भारतीय नौसेना के लिए एक गेम-चेंजिंग क्षमता लाएगा.
लंबे समय तक पानी के नीचे रहने में सक्षम
दरअसल, ईंधन-सेल एआईपी पनडुब्बी को कम गति पर लंबी दूरी तक चलने की इजाजत देता है. वहीं, लिथियम-आयन बैटरी इसे हाई स्पीड से चलने में मदद करता है. फ्रुहलिंग के अनुसार, यह पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के नीचे रहकर हाई स्पीड से चलने में सक्षम है, जो इसे और भी घातक बनाता है. ऐसे में भारतीय नौसेना की पनडुब्बी पानी में रहते हुए पूरे बंगाल की खाड़ी पर नजर बनाए रख सकती है.
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