बांग्लादेशी सेना के लिए चाइनीज लड़ाकू विमान बना सिर दर्द, रडार भी बेकार

आजकल बांग्लादेशी सेना दुश्मन से नहीं अपने हथियारों से ही जूझ रही है. वह हथियार जिसे चीन ने उसे बेच है. सेना की शिकायत है कि चीन ने उसे खराब मिलिट्री हार्डवेयर बेचा है.

इतना ही नहीं चीन के दिए लड़ाकू विमान सही से फायर भी नहीं करते हैं. उनके रडार भी बेकार हैं. चीनी स्पेयर पार्ट्स की क्वालिटी भी घटिया है. 

मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो बांग्लादेशी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों सेना इसी परेशानी से जूझ रही है.

हाल ही में बांग्लादेश ने चीन पर फॉल्टी स्पेयर पार्ट्स सप्लाई करने का आरोप लगाया है. हालांकि, ये पार्ट्स कोरवेट, पेट्रोल क्राफ्ट और तटवर्ती गश्ती वाहनों के लिए भेजे गए थे.

ये बात सामने आई ही कि नावों में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट्स के अलावा तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. बांग्लादेशी वायु सेना अब चीनी F-7 लड़ाकू विमानों से परेशान हो चुकी है. 

आपको बता दें कि इन फाइटर जेट्स में भी तकनीकी खामियां हैं. इतना ही नहीं, कम दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम में भी गड़बड़ी है.

एयरफोर्स के मुताबिक, चीन में बने K-8W एयरक्राफ्ट में डिलीवरी के कुछ दिन बाद ही गोले दागने में परेशानी आने लगी. 

चीन से सप्लाई हुए हवाई इंटरसेप्शन रडार भी ठीक से काम नहीं कर रहे. बांग्लादेश के लड़ाकू विमानों में लगे चीनी रडार भी सटीक मानकों पर खरे नहीं उतरते.

बांग्लादेश की थल सेना ने चीन के नॉर्थ इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (NORINCO) से मेन बैटल टैंक्स (MBT 2000) मंगाए थे.

अब जानकारी ये है कि NORINCO को इन टैंकों की रिपेयरिंग और मेंटेनेंस के लिए पार्ट्स सप्लाई करने में दिक्कत हो रही है.

नेवी की भी अपनी परेशानियां हैं. चीन में बने दो फ्रिगेट में कई खामियां पाई गईं. चीनी कंपनियों ने इन्हें ठीक करने के लिए अतिरिक्त रकम की मांग की है.

करीब एक दशक पहले, चीन ने दो रीफर्बिश्‍ड मिंग-क्लास पनडुब्बियां बांग्लादेश को बेची थीं. हर एक पनडुब्बी के लिए 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा अदा किए गए थे. बाद में बांग्लादेश को पता लगा कि ये पनडुब्बियां चलन से बाहर हो चुकी थीं. 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन के पास अब भी हाई क्वालिटी के मिलिट्री हार्डवेयर  बनाने की क्षमता नहीं है.

चीन जो हथियार बेचता है, उनमें से अधिकतर दोयम दर्ज के या चलन से बाहर हो चुकी तकनीक पर आधारित होते हैं.