Petrodollar Deal: सऊदी अरब ने अमेरिका को बड़ा झटका दिया है. दरअसल सऊदी ने अमेरिका के साथ अपनी 50 साल पुराने पेट्रो डॉलर सौदे, जोकि 9 जून 2024 को एक्सपायर हो गया है, उसे आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है. सऊदी के इस फैसले को दुनियाभर में कारोबार के लिए US डॉलर के बदले दूसरी करेंसी के इस्तेमाल के बढ़ावे के रूप में देखा जा रहा है. इससे अमेरिका पर सीधा असर पड़ सकता है. यह सौदा पूरी दुनिया में अमेरिका की आर्थिक रूप से धाक जमाने के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ था. लेकिन इसको दोबारा से शुरू करने का कोई संभावना नहीं दिख रहा है.
जानें पेट्रो डॉलर सौदे के बारे में…
इन्वेस्टोपेडिया के अनुसार, पेट्रो डॉलर सौदा अमेरिका द्वारा कारोबार के लिए सोने के मानक से हटने के बाद वजूद में आया. 1970 के दशक में इजराइल युद्ध के बाद चल रहे ऑयल संकट के बाद सऊदी अरब के साथ अमेरिका ने पेट्रो डॉलर समझौता किया. इस समझौते के अंतर्गत सऊदी दुनियाभर में अपने सोने की बिक्री डॉलर में करेगा.
As much as I'd like to believe this to be true, this 50-year expiry date on a petrodollar agreement is, as far as I can see and after quite a bit of research, purely made up (like many things this "BRICS News" account posts) 🤷♂️ https://t.co/951BbQJdPL
— Arnaud Bertrand (@RnaudBertrand) June 13, 2024
इस सौदे के बदले अमेरिका ने सऊदी को उसकी सुरक्षा की गारंटी दी और अमेरिका को इसके कई फायदे हुए. पहला तो अमेरिका को सऊदी का तेल मिला. दूसरा पूरी दुनिया में उनकी करेंसी के रिजर्व बढ़ने लगे. जानकार कहते हैं अमेरिका के लिए ये सौदा WIN-WIN कंडीशन था. विन-विन का मतलब हर तरफ से जीत.
सौदा खत्म होने के बाद कैसे बेचा जाएगा तेल?
दुनिया में कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश सऊदी अरब है. वे कई देशों में अपने तेल की बिक्री करता है. बिरिक्स न्यूज के अनुसार, सऊदी अरब अब सिर्फ अमेरिकी डॉलर के बजाय चीनी RMB, रुपये, यूरो, येन, और युआन सहित कई करेंसी में तेल की बिक्री करेगा.
चीन-रूस से बढ़ती करीबी
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में चीन-रूस के साथ सऊदी की लगातार करीबी बढ़ रही है और सऊदी मार्केट में अमेरिका की संप्रभुता घटती जा रही है. सऊदी अपने कारोबार का दायरा बढ़ाते हुए चीन, रूस, जापान देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने में लगा है. ये स्थिति अमेरिका से मध्य पूर्व की सुरक्षा में मतभेदों के बाद हुआ है.
ये भी पढ़ें :- कुवैत अग्निकांड में मरने वाले भारतीय किस राज्य के कितने, जानिए पूरा आंकड़ा