Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वासना का आवरण- जिस तरह शरीर को वस्त्र ढंकते हैं और सूर्य को बादल, उसी तरह वासना का आवरण परमात्मा को ढंक देता है। जगत में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां प्रभु विराजमान न हों– परंतु वासना का आवरण ऐसा घना है कि- प्रभु के दर्शन होते नहीं! ऋषिरूपा गोपियाँ प्रभु के दर्शन चाहती थी, किंतु वासना का आवरण होने से प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकती थी।
इसलिए प्रभु ने वासना का आवरण हटाकर दिव्य स्वरूप के दर्शन कराए। इस तरह वासना का आवरण हटाकर ऋषि रूपा गोपियों को दिव्य स्वरूप के दर्शन प्रदान करने की लीला ही प्रभु की वस्त्रहरण लीला है। वर्ष में एक-आध महीने के लिए तीर्थ सेवन करते हुए प्रभु भजन करो।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).