Iran and Sweden: शनिवार को ईरान और स्वीडन के बीच कैदियों की अदला-बदली की गई. जिसके परिणामस्वरूप ईरान के नागरिक हामिद नूरी को स्वीडन ने रिहा किया. वहीं दूसरी ओर स्वीडन के दो नागरिक को ईरान ने कैद से आजाद किया. स्वीडन के दो नागरिक में यूरोपीय संघ के राजनयिक जोहान फ्लोडरस और अन्य नागरिक सईद अजीजी शामिल हैं. इनकी रिहाई के बाद स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि स्वीडन के जोहान फ्लोडेरस और ईरानी-स्वीडिश नागरिक सईद अज़ीज़ी को तेहरान ने रिहा कर दिया और यह दोनों स्वीडन वापस पहुंच गए हैं.
नागरिकों की रिहाई में ओमान ने निभाई भूमिका
मिडिल ईस्ट के देश ओमान ने स्वीडन और ईरान के बीच हुई कैदियों की रिहाई में अहम भूमिका निभाई. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच मध्यस्थता स्थापित की. ईरानी मीडिया ने भी इसकी जानकारी दिया. बताया कि हामिद नूरी को स्वीडन ने रिहा कर दिया है और वो तेहरान वापस जा रहा है.
स्वीडन ने ईरानी नागरिक को क्यों पकड़ा
नवंबर 2019 में 63 साल के नूरी को कथित मानवाधिकार उल्लंघन के लिए स्टॉकहोम एयरपोर्ट पर स्वीडन पहुंचने पर अरेस्ट किया गया था. हालांकि स्वीडन में नूरी की हुई गिरफ्तारी और उन पर लगे आरोपों को ईरान ने “निराधार” कहकर खारिज कर दिया था. जिसके बाद 19 दिसंबर 2022 को नूरी को स्वीडन में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी.
1988 के नरसंहार से कनेक्शन
ईरानी नागरिक हामिद नूरी को स्वीडन ने 1988 में ईरान में हुए नरसंहार में शामिल होने के आरोपों के चलते कैद किया था. साल 2022 में नूरी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. अगर इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो 1988 में जब ईरान और इराक आमने-सामने खड़े थे तो लंबे समय के युद्ध के बाद आखिर में जेल में बंद लोगों को ईरान ने सामूहिक रूप से फांसी पर लटका दी थी. इस सामूहिक फांसी में ईरान के पूर्व राष्ट्रपति रईसी का भी नाम शामिल था. अंतर्राष्ट्रीय अधिकार ग्रुप के अनुमान के अनुसार कम से कम 5,000 लोगों को फांसी दी गई थी.
ईरान ने स्वीडन के नागरिक को किया था कैद
ईरान ने स्वीडन के जिस नागरिक को कैद किया था वो यूरोपीय संघ के राजनयिक का कामा करता था, उनका नाम जोहान फ्लोडेरस हैं. फ्लोडेरस को साल 2022 में अप्रैल में दोस्तों के साथ छुट्टियों से लौटते समय तेहरान हवाई अड्डे पर अरेस्ट किया गया था. वहीं दूसरी ओर सईद अजीजी को तेहरान ने फरवरी में कैद किया था. ईरानी-स्वीडिश नागरिक अजीजी को तेहरान के रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने “राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ विधानसभा और मिलीभगत” के आरोप में पांच साल जेल की सजा सुनाई थी.
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