क्या इंटरनेट से चलती है EVM, अमेरिका से भारत की मशीन कैसे अलग?

दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने ईवीएम पर सवाल उठाया और कहा कि ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे मनुष्य या एआई के जरिए हैक किया जा सकता है. 

इसके बाद राहुल गांधी ने एक न्यूज़ पेपर की कटिंग शेयर की. इसमें ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक करने का दावा किया गया था. इसपर चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा कि ये बिलकुल गलत है. EVM में फोन या OTP की जरूरत नहीं. ये वायरलेस प्रोसिजर और स्वतंत्र है.

दरअसल, अमेरिका में वोटिंग के लिए ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है. सुपर पावर होने के बावजूद अमेरिका परंपरागत तरीके से मतदान करता है. 

केवल अमेरिका ही नहीं, दुनिया के लगभग 100 देश चुनाव में ईवीएम नहीं बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, पिछले 2 दशक में ईवीएम का प्रयोग बढ़ा है. अभी 30 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल होने लगा है.

अमेरिका में EVM की जगह मतदान में बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ईवीएम पर अमेरिकी नागरिकों का भरोसा नहीं होना है. लोगों का मानना है कि इसे हैक किया जा सकता है.

दरअसल, अमेरिका में जिन ईवीएम का इस्तेमाल होता था, वह इंटरनेट से जुड़ा होता था. इस कारण साइबर अटैक के जरिए उसमें छेड़छाड़ संभव थी.

ईवीएम का इस्तेमाल को लेकर मस्क के पोस्ट पर चुनाव आयोग के अधिकारी ने रविवार को इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा भारत में ईवीएम कार्यप्रणाली पर संदेह किया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए इसके पक्ष में फैसला सुनाया है.

आयोग के पदाधिकारी ने कहा, अमेरिका में चुनावी प्रणाली भारत के चुनाव आयोग के बराबर निगरानी प्रदान नहीं करती है. इसके कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद 324 में स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं.

साथ ही स्पष्ट किया कि अमेरिका में प्रत्येक राज्य अपनी मतदान पद्धति चुन सकता है और इनमें पेपर बैलेट से लेकर बिना पेपर ट्रेल के डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तक शामिल हैं.

अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों का विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है, लेकिन कोई भी भारतीय ईवीएम में तकनीकी विशेषताएं शामिल नहीं होती हैं. भारत में ईवीएम अनिवार्य वीवीपीएटी के साथ स्टैंडअलोन मशीनें हैं और इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं.

अमेरिका में डायरेक्ट रिकॉर्डिंग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी डीआरई सिस्टम विविध हैं और अधिकांश इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं, जो उन्हें भारतीय संदर्भ से स्पष्ट रूप से अलग करती हैं.

लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय चुनाव आयोग के वकील ने अमेरिका और भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम में अंतर बताया था. 

लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय चुनाव आयोग के वकील ने अमेरिका और भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम में अंतर बताया था. 

भारत की ईवीएम स्टैंडअलोन है, जो किसी भी तरह के नेटवर्क, वाईफाई या ब्लूटूथ से जुड़ी नहीं होती. यहीं कारण है कि इसे हैक नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही विदेशों में ईवीएम प्राइवेट कंपनी बनाती थीं, लेकिन भारत में ईवीएम का निर्माण पब्लिक सेक्टर कंपनी करती है.

अमेरिका की ईवीएम में वोट की पुष्टि के लिए कोई सिस्टम भी नहीं लगा था, लेकिन भारत में इसमें वीवीपैट मशीन लगी होती है, जिसके जरिए वो की पुष्टि होती है.