Train Accident: पश्चिम बंगाल में आज सुबह एक बड़ा रेल हादसा हुआ है. ये हादसा बंगाल के दार्जिलिंग जिले में हुआ, जहां पर कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी. इस भीषण हादसे में ट्रेन की तीन बोगियां बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गईं. इस हादसे में 15 लोगों की मौत की पुष्टी हुई है. वहीं, दो दर्जन से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी खबर है. हादसे के बाद बचाव कार्य जारी है.
जानकारी के अनुसार हादसा सुबह 9 बजे के आसपास हुआ है जब कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) अगरतला से सियालदह जा रही थी. टक्कर के बाद एक्सप्रेस ट्रेन के दो डिब्बे डिरेल हो गए. इसके बाद चीख पुकार मच गई है. प्रशासन और राहत कार्य में लगे कर्मचारी गैस कटर से डिब्बों को काटकर लोगों को बाहर निकालने में जुटे हैं. रेल मंत्री अश्निनी वैष्णव घटनास्तल पर पहुंच गए हैं. राहत और बचाव कार्य का जायजा ले रहे हैं.
इस हादसे पर पीएम मोदी ने दुख जताया है. पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पश्चिम बंगाल में रेल दुर्घटना दुखद है. जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है. मैं प्रार्थना करता हूँ कि घायल लोग जल्द से जल्द ठीक हो जाएं. अधिकारियों से बात की और स्थिति का जायजा लिया. प्रभावितों की सहायता के लिए बचाव अभियान जारी है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी दुर्घटना स्थल पर जा रहे हैं.”
देश में पिछले कुछ सालों में तमाम रेल हादसे हुए हैं. हालांकि, जब भी रेल हादसे की कोई खबर सामने आती है तो एक भयानक रेल हादसे की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है. ये रेल हादसा बिहार में 43 साल पहले हुआ था. माना जाता है कि देश में हुए किसी भी रेल हादसे में यह अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा है. इस हादसे में 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाईं थी. ये सरकारी आंकड़े हैं. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना था कि ये आंकड़ा 1000 से ज्यादा रहा. इस हादसे को याद भर करने मात्र से ही दिल दहल जाता है.
1981 का वो रेल हादसा!
दरअसल, 6 जून 1981 को हुआ भयानक हादसा शायद ही कोई भूल सकता है. इस ट्रेन हादसे को दुनिया का सबसे बड़ा रेल हादसा बताया गया है. बिहार में हुए इस हादसे की तस्वीर जब भी दिमाग में आती है, सभी सहम उठते हैं. जानकारी के अनुसार पैसेंजर ट्रेन खगड़िया जिले के मानसी से चलकर सहरसा के लिए रवाना हुई थी. इस दौरान खगड़िया और सहरसा के बीच संपर्क का सबसे बड़ा साधन ट्रेन ही होती थी. ट्रेन को बदला, धमारा, कोपड़िया, सिमरी बख्तियारपुर के रास्ते सहरसा पहुंचना था. चूकी बरसात का दिन था, ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी थी. जो यात्री भी उस ट्रेन में सवार था वो अपनी मस्ती में चूर था. किसी को बाजार जाना था, किसी को परिवार से मिलने जाता था. पैसेंजर ट्रेन में भीड़ इतनी ज्यादा थी कि जितने लोग सीट पर बैठे थे उसके दोगुना कोच में खड़े थे.
ट्रेन मानसी से चली और बदला घाट पर रुकी वहां से धमारा के लिए रवाना हुई. इस दौरान जैसे ही ट्रेन चली जोरदार बारिश शुरू हो गई. बारिश के कारण लोगों ने बोगियों की खिड़कियां बंद करनी शुरू कर दी. ट्रेन जैसे ही बागमती नदी पर बने पुल को पार कर रही थी, अचानक लोकोपायलट ने ब्रेक लगाया और ट्रेन की नौ में से सात बोगियां फिसलकर पुल को तोड़ते हुए उफनाई बागमती नदी में गिर गई.
300 से अधिक लोगों की हुई थी मौत
हादसे के बाद जब ट्रेन नदी में गिर गई, उस दौरान जिनको तैरना आता था वह तो बच गए, लेकिन सभी का भाग्य ठीक नहीं था. सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस हादसे में कुल 300 लोगों के मरने की पुष्टी हुई थी. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना था कि कम से कम 15 सौ से 2 हजार लोगों की जान गई. बताया जाता है कि हादसे के अगले एक हफ्ते बाद तक शवों को नदी से निकालने का काम किया गया.
हादसे की वजह किसी को नहीं पता
मानसी सहरसा रेलखंड पर ये हादसा 43 साल पहले हुआ था. सबसे बड़ी बात ये है कि आज तक इस हादसे की मुख्य वजह सामने नहीं आ सकी है. ये हादसा किस वजह से हुआ इस बात की पुष्टी नहीं हो सकी. बताया जाता है कि पुल पर अचानक कोई भैंस आ गई थी, जिसे बचाने के लिए लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया. इस वजह से जोरदार झटका लगा और ट्रेन नदी में समा गई.
जानकारों का ये भी कहना है कि जिस दौरान ये हादसा हुआ था उस वक्त जोरदार बारिश हो रही थी. लोगों ने सभी बोगियों की खिड़कियों को बंद कर लिया था, जिस वजह से तूफानी हवा क्रॉस करने के सभी विकल्प बंद हो गए थे. हवा के दबाव के कारण ट्रेन पलट गई.
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