International Yoga Day: जमीन ही नहीं, आसमान में भी हो चुका योग, जानें कौन है दुनिया के पहले ‘अंतरिक्ष योगी’?

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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International Yoga Day: 21 जून को दुनियाभर में अंतराष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. वैसे तो जमीन पर इसकी शुरूआत साल 2014 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई. जिसके बाद 2015 से 21 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जाने लगा. लेकिन क्‍या आपको पता है योग जमीन ही नहीं बल्कि आसमान में भी किया जा चुका है. यदि नहीं…तो चलिए जानते है कि आखिर वो पहले अंतरिक्ष योगी कौन थे?

अंतरिक्ष में योग करने वाले पहले व्यक्ति

अंतरिक्ष में योग करने वाले एकमात्र व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि वो इंसान है, जिन्‍होंने अंतरिक्ष में भारत की ओर से पहली उड़ान भरी थी. जी हां. हम बात कर रहे है राकेश शर्मा की. आज से 39 साल पहले साल 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. जहां पहुंचने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे कॉल पर बात की थी. उन्‍होंने पूछा था कि अंतरिक्ष से हमारा भारत कैसा दिखता है तब राकेश शर्मा ने कहा था कि- सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा.

आपको बता दें कि राकेश शर्मा भारत के पहले और दुनिया के 138वें अंतरिक्ष यात्री थे. उन्‍होंने अंतरिक्ष में कुल 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए थे. आप यह जानकर बेहद ही हैरान होंगे कि वो अपने साथ अंतरिक्ष में राजघाट की मिट्टी और महात्मा गांधी के समाधि स्थल की फोटो के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानि जैल सिंह की तस्वीरें भी लेकर गए थे.

कैसा था अंतरिक्ष में योग का एक्सपीरियंस?

राकेश शर्मा पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अंतरिक्ष में पूरे अनुशासित तरीके से योग किया था. हालांकि वहां उन्हें गुरुत्वाकर्षण बल के बिना योग करने में काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा था. आपको बता दें कि राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट भी रह चुके हैं.

खुद को संतुलित करना भी थोड़ा मुश्किल

एक बार उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि योग ने हमें कुछ सबक सिखाए, क्योंकि अंतरिक्ष में योग करना मतलब शून्य गुरुत्वाकर्षण में योग करना हैं. जबकि पृथ्वी पर, योग करते है तो यहां गुरुत्वाकर्षण बल होता है. इसलिए अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण को दोहराने के लिए इलास्टिक डोरियों के साथ एक हार्नेस डिजाइन किया गया था. उन्‍होंने बताया कि वहां खुद को संतुलित करना भी थोड़ा मुश्किल है. उस वक्‍त यदि किसी प्रशिक्षित ने हमें योग करते देखा होता, तो वह काफी निराश होता.

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