रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, ड्रैगन ने सैकड़ों उइगर गांवों और कस्बों के बदले नाम

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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China: चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ अत्‍याचार की कहानी कोई नहीं नहीं हैं. आए दिन इन समुदायों पर सितम ढाने की खबरें आती रही हैं. इसी बीच एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि चीन ने धार्मिैक और सांस्‍कृतिक पहचान को हटाने के लिए सैकड़ों उइगर गांवों और कस्‍बों का नाम बदल दिया है. ये रिपोर्ट बुधवार को ह्यूमन राइट्स वॉच और नॉर्वे स्थित संगठन उइगर हेजेल्प ने प्रकाशित की है. ड्रैगन ने कई कस्बों और शहरों के नाम बदलकर कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा को दर्शाया हैं.

630 गांवों और कस्बों के बदले नाम 

रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 630 नाम बदल दिए गए हैं. सरकार ने ये अधिकतर नाम उइगरों पर कार्रवाई के चरम पर होने के दौरान बदले, जिसे कई सरकारों और मानवाधिकार निकायों ने नरसंहार कहा है. ड्रैगन ने ऐसी हरकत 2009 से 2023 के बीच धार्मिक, ऐतिहासिक या सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने के लिए किया है.

मस्जिद और खलीफा शब्‍द हटाया

रिसर्च करने वाले दो संगठनों के मुताबिक, व्यापक तौर पर तीन श्रेणियों को निशाना बनाया गया है. धर्म या उइगर सांस्कृतिक चलनों का कई उल्लेख हटाया गया. चीन ने होजा, हनीका और मजार जैसे नामों को हटा दिया है. चीनी अधिकारियों ने वर्ष 1949 से पहले के उइगर किंगडम्स, रिपब्लिक्स या नेताओं के नाम भी बदल दिए. रिपोर्ट के मुताबिक, शिनजियांग में अब कोई भी ऐसा गांव नहीं बचा है, जिसके नाम में मस्जिद या खलीफा शब्द का जिक्र हो.

चीन सरकार ने थोपे अपने नाम

बता दें कि उइगर एक तुर्क जातीय समूह है, जो यहां अल्‍पसंख्‍यक में आते हैं. यह समूह मुख्य रूप से शिनजियांग प्रांत में पाया जाता है. चीन के साथ उसके संबंध लंबे समय से अच्‍छे नहीं हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि नए गांवों के नाम आमतौर पर मंदारिन चीनी में रखे गए, जिसका मतलब चीनी सरकार सकारात्मक भावना व्यक्त करना बता रही है. चीन की सरकार का उद्देश्‍य है कि उइगर लोग चीन के नेतृत्व को अपनाएं और उसे व्यक्त करें.

इस्लाम से जुड़ी किसी भी चीज को खतरनाक मानते हैं चीन

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में अकटो काउंटी में अक मेशिट (सफेद मस्जिद) गांव का नाम बदलकर यूनिटी गांव कर दिया गया. 2022 में कराकैक्स काउंटी के डुटार गांव का नाम बदलकर रेड फ्लैग गांव रख दिया गया. ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया डिवीजन की निदेशक एलेन पियर्सन ने बताया कि यह इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने के चीन के सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है. वे अरबी या इस्लामी भाषा से जुड़ी किसी भी चीज को खतरनाक मानते हैं, इसलिए उन्होंने चीन के कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा के मद्देनजर नाम बदले.

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