UP News: केंद्रीय कैबिनेट के उस फैसले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने स्वागत किया है, जिसमें वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे (Lal Bahadur Shastri International Airport) का विकास किया जाना है. अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए सीएम योगी ने इसके लिए पीएम मोदी का आभार जताया है. उन्होंlने एक्स पर पोस्ट में लिखा- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. ₹2,869.65 करोड़ की लागत से इस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास काशी समेत पूरे उत्तर प्रदेश के विकास को नई ऊंचाइयां प्रदान करेगा.
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
₹2,869.65 करोड़ लागत से इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 19, 2024
बता दें, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में वाराणसी स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करने के भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें नए टर्मिनल भवन, एप्रन एक्सटेंशन, रनवे एक्सटेंशन, समानांतर टैक्सी ट्रैक और संबद्ध कार्यों का निर्माण करना भी शामिल है. हवाई अड्डे पर यात्री प्रबंधन क्षमता को मौजूदा 3.9 एमपीपीए से बढ़ाकर 9.9 मिलियन यात्री प्रति वर्ष (MPPA) करने पर अनुमानित वित्तीय व्यय 2869.65 करोड़ रुपये का होगा. 75,000 वर्ग मीटर में फैली नई टर्मिनल बिल्डिंग को 6 एमपीपीए की क्षमता और 5000 पीक ऑवर यात्रियों (पीएचपी) के उचित प्रबंधन के लिए डिजाइन किया गया है. शहर की विशाल सांस्कृतिक धरोहर की झलक दिखाने के लिए इसे डिजाइन किया गया है.
इस प्रस्ताव में रनवे को 4075 मीटर x 45 मीटर तक विस्तारित करना और 20 विमानों को पार्क करने के लिए एक नए एप्रन का निर्माण करना शामिल है. वाराणसी हवाई अड्डे को हरित हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसका मुख्य उद्देश्य ऊर्जा अनुकूलन, अपशिष्ट के पुनर्चक्रण, कार्बन उत्सर्जन में कमी, सौर ऊर्जा का उपयोग तथा दिन के प्राकृतिक प्रकाश को शामिल करके पर्यावरणीय निरंतरता सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही योजना, विकास और परिचालन के समस्तव चरणों में अन्य टिकाऊ या सतत उपाय भी किए जाएंगे.