Minorities forced to migrate: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का जीना मुहाल हो गया है. पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अल्पसंख्यक परिवारों की सुरक्षा स्थिति काफी बिगड़ गई है. इस वजह से यहां से अधिकतर अल्पसंख्यक पलायन करने को मजबूर हैं. इस बात का दावा एक धार्मिक विद्वान और हिंदू अधिकार कार्यकर्ता ने किया है.
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि हिंदू, सिख और ईसाई परिवार ज्यादातर पंजाब और सिंध प्रांतों में चले गए. वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जो विदेश चले गए.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत खराब
पाकिस्तान हिंदू मंदिर प्रबंधन समिति के हारून सरबदियाल के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कानून व्यवस्था काफी बिगड़ गई है. इस वजह से यहां पर रहने वाले अल्पसंख्यक परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि हिंदू और सिख लोग अपने पैतृक घरों को छोड़कर कहीं और जा रहे हैं. वहीं, हारून सरबदियाल का कहना है कि आदिवासी इलाकों, पेशावर, स्वात और कुछ पहाड़ी इलाकों से अधिकांश हिंदू और सिख अपने पैतृक इलाकों को छोड़कर चले गए हैं.
बताया जाता है कि पिछले कुछ सालों में इन क्षेत्रों में टारगेट किलिंग की घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. यही वजह है कि कई सिख परिवार पेशावर में सिखों के सबसे पुराने मोहल्लों में से एक मोहल्ला जोगन शाह को छोड़कर चले गए.
क्या बोले लोग?
एक निजी चैनल के वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार 50 वर्षीय प्रदीप सिंह ने बताया कि यह वह क्षेत्र है जहां हमारे पूर्वज रहते थे और हमने अपनी संस्कृति, परंपराओं और अपनी शैक्षिक प्रणाली को बनाए रखा है.
आतंकी घटनाओं में काफी इजाफा
दरअसल, पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर नजर डालें तो इस साल (2024) में कम से कम 179 आतंकवाद संबंधी घटनाएं हुई है. एक यह भी वजह है कि लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं. वहीं, साल 2023 में 563 आतंकी घटनाएं हुईं और उनमें से 243 बार पुलिस को निशाना बनाया गया.
गौरतलब है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत युद्धग्रस्त अफगानिस्तान की सीमा से सटा है. यह इलाका आतंकवादियों का ठिकाना भी है. पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार यह प्रांत आतंकवादियों के निशाने पर रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि आसानी से आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के साथ सीमा पार कर के भाग जाने में सफल हो जाते हैं.
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