Ajay Rai Plea in Supreme Court: 14 साल पुराने मामले में यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राज की बढ़ीं मुश्किलें, SC से नहीं मिली राहत

Shivam
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Ajay Rai Plea in Supreme Court: यूपी कांग्रेस अध्यक्ष के अध्यक्ष और वाराणसी से लोकसभा प्रत्याशी रहे अजय राय की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रहीं हैं. 2010 में वाराणसी में दर्ज गैंगस्टर एक्ट केस में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अजय राय की ओर से दायर याचिका पर यूपी सरकार सहित अन्‍य को नोटिस जारी कर 15 जुलाई तक जवाब मांगा है. बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अजय राय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज केस के खिलाफ अजय राय (Ajay Rai) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दायर किया था. इस मामले में अजय राय, संतोष राय, चंद्रभूषण दुबे और विजय कुमार पांडे समेत अन्य लोगों के खिलाफ वर्ष 2010 में वाराणसी के चेतगंज थाने में बलवा, मारपीट आदि की धाराओं में केस दर्ज किया गया था. बाद में इसमें गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया. यह मामला स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण वाराणसी की अदालत में लंबित है.

मुकदमा रद्द करने की मांग की थी

अजय राय व अन्य की ओर से याचिका दायर कर मुकदमे की कार्यवाही खत्म करने की मांग की गई थी. कहा गया था कि उनका शिकायतकर्ता से समझौता हो गया है. समझौते के आधार पर दर्ज मुकदमे को रद्द करने की मांग की गई है. हाईकोर्ट में याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इसी प्रकरण में अभियुक्तों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया गया है.

इसे समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता है. साथ ही यह भी कहा गया था कि अजय राय का आपराधिक इतिहास है और उनपर 27 मुकदमे दर्ज हैं. मुकदमे का ट्रायल पूरा होने वाला है. ऐसे में मुकदमे को रद्द करने का कोई आधार नही है. याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट को पहले ही चुनौती दी गई थी और वह याचिका खारिज हो चुकी है. इसलिए मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि अजय राय और चार अन्य के खिलाफ 14 साल पहले वाराणसी के चेतगंज थाने में FIR दर्ज हुई थी. वर्ष 2010 में आईपीसी की धारा 147, 148, 448, 511, 323,504, 506, 120 बी और सेक्शन 7 आफ क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, और सेक्शन 3(1) यूपी गैंगस्टर एक्ट एंड एंटी सोशल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट में FIR दर्ज हुई थी. इस मामले में जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने 28 अक्टूबर 2011 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी.

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