Madagascar; Baobab Trees: धरती पर लाखों साल से खड़े बाओबाब के पेड़ अपने अंदर कई कहानियां समेटे हुए है. ये विशाल पेड़ अपने मोटे तने और छोटी छतरी के लिए पहचाने जाते हैं. इन पेड़ो के रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध करते रहे हैं, क्योंकि जिन स्थानों पर ये पेड़ हैं वहां के लिए बाओबाब की अहम भूमिका है. मेडागास्कर के एंटानानारिवो यूनिवर्सिटी और लंदन के क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ने आपसी सहयोग से इन पेड़ो पर बड़ा रिसर्च किया है. पहली बार रिसर्च में बाओबाब की आठ प्रजातियों के अंतर-प्रजाति के बारे में पता चला है.
इन जगहों पर पाएं जाते हैं बाओबाब के पेड़
बाओबाब के पेड़ को लेकर माना जाता है कि यक पेड़ एक हजार साल तक जीवित रह सकते हैं. ज्यादातर ये पेड़ मेडागास्कर, उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और महाद्वीपीय अफ्रीका के एक हिस्से में शुष्क वन वातावरण में कीस्टोन प्रजाति के रूप में मिलते हैं. इन वृक्षों के लगभग सभी भाग मनुष्यों एवं अन्य जीवों के लिए उपयोगी हैं. सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बाओबाब के पेड़ों का लगभग हर हिस्सा मनुष्यों और जानवरों द्वारा उपयोग में लाया जाता है. इसीलिए इन पेड़ों को जंगल की मां के तौर पर जाना जाता है.
मेडागास्कर में ही उत्पन्न हुए बाओबाब
अभी तक वैज्ञानिकों का मानना था कि ये वृक्ष मुख्य भूमि अफ्रीका से आए थे. वहीं बीते महीने नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में इन पेड़ों के अफ्रीका से आने पर सवाल उठाया गया. वैज्ञानिकों की एक टीम ने बाओबाब के आठ प्रजातियों का गहन अध्ययन कर एक दूसरे के साथ उनके सबंधों की जांच की. इस शोध के बाद फैसला निकाला गया कि बाओबाब मेडागास्कर में ही उत्पन्न हुए थे. यह जानकारी ऐसे समय में आई है, जब द्वीप पर इन पेड़ों की संख्या लगातार गिर रही है. नए शोध के अनुसार मेडागास्कर में बाओबाब की छह प्रजातियां पाई जाती हैं और साल 2080 तक इसकी एक प्रजाति विलुप्त हो सकती है.
लगातार कम हो रहे ये पेड़
चीन के हुबेई में वुहान बॉटनिकल गार्डन के वैज्ञानिक डॉक्टर वान जून-नान ने कहा कि इस पेड़ की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने में शोधकर्ताओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. क्योंकि पुराने बाओबाब के वृक्षों या उनके पूर्वजों के जीवाश्म नहीं मिले हैं. पिछले शोध में बाओबाब से जो अनुवांशिक जानकारी प्राप्त हुई था, वह सीमित थी. अध्ययन के निष्कर्षों से मालूम हुआ है कि मेडागास्कर पर हजारों वर्षों से इनकी प्रजातियां लगातार कम होती जा रही हैं. वनों की कटाई से इनकी संख्या पर बुरा प्रभाव पड़ा है. अब वैज्ञानिक बाओबाब के बची प्रजातियों को सुरक्षित रखने पर काम कर रहे हैं.
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