कथा में संतों की प्रेरणादाई वाणी का पान करने से सुधरता है जीव का स्वभाव: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जीव का स्वभाव ठीक नहीं है। इसीलिए वह प्रकृति का गुलाम होकर घूमता है। जहां गुलामी है, वहीं परेशानी है। प्रकृति का गुलाम बना हुआ जीव खुद तो दुःख से मारा-मारा फिरता ही है, साथ-ही-साथ दूसरों को भी दुःखी करता है। जबकि शिव प्रकृति के स्वामी है। वे प्रकृति को बस में रख सकते हैं, इसीलिए सुख और शांति उनके चरण की सेवा करते हैं ।
इसलिए सबसे पहला जरूरी काम तो जीव के स्वभाव को सुधारने का है। यह स्वभाव तीर्थयात्रा, यज्ञ-यज्ञादि सत्कर्म करने से सुधरता है और स्वभाव कथा में संतों की प्रेरणादाई वाणी का पान करने से सुधरता है। जिसका स्वभाव सुधरता है, उसका संसार भी सुधरता है। भक्ति से ही मृत्यु सुधरती है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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