Saudi Arabia Allat Devi: सऊदी अरब को इस्लाम के जन्मस्थान के तौर पर जाना जाता है, क्योंकि यहीं पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था, जिन्होंने इस्लाम धर्म की स्थापना की. जिससे दुनियाभर में इस्लाम धर्म का विस्तार हुआ है. वहीं, पुरातत्वविदों का ऐसा मानना है कि एक समय ऐसा था, जब सऊदी अरब में देवी-देवताओं की पूजा होती थी.
दरअसल, सऊदी के मदाइन और वादी रम इलाके में मंदिरों के अवशेष मिले हैं. सऊदी अरब के उत्तरी इलाके में जॉर्डन तक चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 106 ई. तक नबातियन सभ्यता फलफूल रही थी. इस सभ्यता के लोगों ने पहाड़ों को काटकर सामने की ओर मंदिर और मकबरे का निर्माण किया था. फिलहाल इस सभ्यता से जुड़ा कोई साहित्य इतिहासकारों को अभी तक नहीं मिला है.
नबातियन सभ्यता को रोमन के राजा ने किया नष्ट
इतिहासकारों का कहना है कि रोमन हमले में नबातियन सभ्यता का अंत हो गया. वहीं, अब मदाइन के इलाकों से पुरतत्वविदों को मंदिरों के कई अवशेष मिले हैं. हालांकि नबातियन सभ्यता की राजधानी जॉर्डन का पेट्रा शहर जरूर था, लेकिन उन्होंने सऊदी अरब के अल उला में हेगारा इलाका बनाया था.
अल्लात देवी का मंदिर
एक रिपोर्ट के अनुसार, पहली बार साल 1930 में सऊदी अरब के वादी रम इलाके में नबातियन सभ्यता के मंदिर की खोज हुई थी. जबकि साल 1995 में नबातियन सभ्यता के इस पुरातत्व स्थल को नष्ट करने की कोशिश की गई थी. ऐसे में अब यहां पर कुछ ही अवशेष बचे हैं.
इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर को पहली सदी में बनाया गया था. अल्लात देवी की स्थापना की गई थी, जिनकी नबातियन सभ्यता के लोग पूजा करते थे. उन्होंने बताया कि रोमन राजा के हमले के बाद भी तीसरी सदी तक इस मंदिर में अल्लात देवी की पूजा की जा रही थी.
मूर्ति पूजा पर लगा बैन
बता दें कि करीब 1500 साल पहले मध्ययुगीन समय में मोहम्मद पैगंबर साहब के जन्म के बाद यहां इस्लाम धर्म की स्थापना हुई. हालांकि सऊदी अरब में अब करोड़ों मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना हैं. वहीं, अब इस्लाम में मूर्ति पूजा हराम है, ऐसे में इस्लाम की स्थापना के साथ ही इन इलाकों में मुर्ति पूजा की मनाही है.
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