भारत की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को FATF ने किया स्वीकार, इस बात की प्रशंसा भी की

Abhinav Tripathi
Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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FATF News India: वित्तीय कार्रवाई कार्यबल यानी FATF ने शुक्रवार को सिंगापुर में हुई अपनी बैठक के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग पर भारत की पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को स्वीकार किया कर लिया. इसी के साथ आतंकवाद की फंडिंग के खिलाफ की कार्रवाई की प्रशंसा भी की है. इसके साथ एक बयान में वैश्विक निकाय द्वारा कहा गया कि दोनों क्षेत्रों में अच्छे परिणाम प्राप्त करने की दिशा में भारत अग्रसर है.

इस रिपोर्ट को लेकर FATF का कहना है कि भारत को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग के मुकदमों की सुनवाई पूरी करने में होने वाली देरी का समाधान करने की जरूरत है. इस संस्था का यह भी कहना है कि ‘गुणवत्ता एवं निरंतरता समीक्षा’ पूरी होने के बाद देश के संबंध में अंतिम मूल्यांकन रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी.

वैश्विक बाजारों में पहुंच होगी

शुक्रवार को भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी की गई. इस प्रेस रिलीज में कहा गया कि JAM (जन धन, आधार, मोबाइल) ट्रिनिटी के कार्यान्वयन के साथ-साथ नकद लेनदेन पर कड़े नियमों के कारण वित्तीय समावेशन और डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इन उपायों ने लेन-देन को और अधिक ट्रैक करने योग्य बना दिया है, जिससे ML/TF जोखिम कम हो गया है और वित्तीय समावेशन में वृद्धि हुई है. FATF पारस्परिक मूल्यांकन पर भारत का प्रदर्शन हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी लाभ प्रदान करता है, क्योंकि यह वित्तीय प्रणाली की समग्र स्थिरता और अखंडता को प्रदर्शित करता है. अच्छी रेटिंग से वैश्विक वित्तीय बाजारों और संस्थानों तक बेहतर पहुंच होगी और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा.

कहां है FATF का हेडक्वॉर्टर?

उल्लेखनीय है कि FATF का हेडक्वॉर्टर फ्रांस के पेरिस में है. यह संस्था मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्व करने का काम करती है. बता दें कि FATF दिशानिर्देशों के अंतर्गत भारत का पारस्परिक मूल्यांकन पिछली बार 2010 में किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य है कि किसी भी देश के वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कानून और नीति लागू करने की क्षमता की पड़ताल करना है.

यह भी पढ़ें: World News: भारत के Anti Conversion Law से चिंतित क्यों है अमेरिका? समझिए पूरा मामला

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