Jammu Kashmir: बीते कुछ महीनों से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की कोशिशों में इजाफा हुआ है. हालांकि भारत के जांबाज सुरक्षाबलों ने घुसपैठियों के मंसुबों को हर बार नाकामयाब कर दिया है. वहीं अब जम्मू संभाग में आतंकवादियों का सफाया करने, साथ ही सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए उद्देश्य से कई बड़े निर्णय लिए गए है. दरअसल, जंगलों में पुलिस के एसओजी टीम (SOG) के 75 कैंप स्थापित होंगे.
इनमें पुलिस के साथ अर्धसैनिक बल भी शामिल होंगे. इसके अलावा सीमा पर सुरंगों का पता लगाने के लिए बीएसएफ के जवान तैनात होंगे. वीडीजी सदस्यों को नए हथियार देकर ट्रेनिंग दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, एनएसए अजित डोभाल और एलजी मनोज सिन्हा ने ऐसे कई अहम मुद्दों को लेकर मीटिंग की है.
हर रोज गश्त करेंगे सुरक्षा बल
सूत्रों के अनुसार, एसओजी कैंप स्थापित करने के लिए रणनीतिक बिंदुओं की पहचान की गई है, जहां स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ और आर्मी के जवान तैनात होंगे. आतंकवादियों की खोज में हर रोज गश्त करेंगे. वहीं वीडीजी के लिए पारंपरिक .303 राइफल और अर्ध-स्वचालित एसएलआर जैसे हथियारों का उपयोग करने का नियमित ट्रेनिंग फिर से शुरू करने का भी फैसला लिया गया है.
इस बात की जानकारी सामने आई है कि आतंकी पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स को वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) कॉल करने के लिए स्थानीय लोगों के हॉटस्पाट कनेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्थानीय लोगों को ऐसा करने से मना किया गया है।
चरवाहों को रुपये देकर राशन मंगवाते हैं आतंकी
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, आतंकियों को रसद मुहैया कराने को लेकर संदिग्ध लोगों से पूछताछ में पता चला कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पाकिस्तान के 30 से 40 लोगों का एक समूह जम्मू में घुसपैठ कर चुका है. ये कठुआ, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़ और सांबा के जंगलों में छिपे हैं. जिन लोगों से वे संपर्क करते हैं, उनमें ज्यादातार चरवाहे हैं. इन्हें 5 सौ से एक हजार रुपये देकर सात दिन का राशन मंगवा लेते हैं.
बता दें कि हाल ही में आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर 2 हजार बीएसएफ जवानों को कठुआ-सांबा बार्डर पर भेजा गया है. सीमा से लगे क्षेत्रों में खास तौर से सुरंगों के आसपास घुसपैठ को रोकने के लिए तैनाती को मजबूत करने के लिए बीएसएफ जवानों को भेजा गया है.
मुखबिरों को अब सालाना 30 हजार
दो दशक से अधिक समय बाद गृह मंत्रालय द्वारा मुखबिरों को आर्थिक मदद देने के लिए अर्धसैनिक बलों व अन्य खुफिया एजेंसियों के महानिदेशकों की वित्तीय शक्तियों में संशोधन किया गया है. अब एक मुखबिर को सालाना पूर्व के 500 रुपये की जगह 30 हजार रुपये दिए जा सकेंगे. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), खुफिया ब्यूरो (आईबी), असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एनपीए) के महानिदेशकों की वित्तीय शक्तियों को कई श्रेणियों के तहत बढ़ाया गया है. गृह मंत्रालय के आदेशानुसार, महानिदेशक अब किसी खबरी को एक बार में पहले के 50 रुपये के मुकाबले 3000 रुपये दे सकेंगे.
मनोरंजन के लिए मिलेगा इतना रुपये
बांग्लादेश और पाकिस्तान के नागरिकों के भरण-पोषण पर खर्च को भी 15 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से संशोधित कर 51.43 रुपये (नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात्रि भोजन) कर दिया गया है. विशिष्ट अतिथियों, चाहे वे विदेशी हों या भारतीय, जिनके साथ अहम विषयों पर चर्चा के लिए संपर्क स्थापित करना होता है, के मनोरंजन के लिए वित्तीय सीमा को 2 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये प्रतिवर्ष कर दिया गया है. यह समय-समय पर सरकार के तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के अधीन है. इसी प्रकार, मुद्रण एवं बाइंडिंग के लिए वित्तीय सीमा 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है.
हिजबुल का ओजीडब्ल्यू दस दिन पुलिस रिमांड पर
बता दें कि मंगलवार देर शाम मंगनाड़ से हिजबुल मुजाहिदीन के ओजीडब्ल्यू मोहम्मद खलील लोन निवासी जिला बांदीपोरा कश्मीर को पुंछ थाने में लाया गया था. इसके बाद उसे बुधवार सुबह स्वास्थ्य जांच के लिए राजा सुखदेव सिंह जिला अस्पताल ले जाया गया. फिर उसके खिलाफ पुंछ थाने में केस दर्ज किया है. हिज्बुल के ओजीडब्ल्यू को बुधवार को 10 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है.
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