श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: मुस्लिम पक्ष को HC से झटका, मंदिर के पक्ष में आया फैसला

Ved Prakash Sharma
Ved Prakash Sharma
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Ved Prakash Sharma
Ved Prakash Sharma
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

मथुराः श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट से झटका लगा है. मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में लंबित 18 सिविल वादों की पोषणीयता पर हिंदू पक्ष को बड़ी राहत दी गई है. कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल सिविल वाद पोषणीय है. झटके पर झटका खा रही ईदगाह कमेटी हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. मालूम हो कि मुस्लिम पक्ष की ओर से सभी सिविल वादों की पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन अदालत ने दिन प्रतिदिन लंबी सुनवाई की थी. इसके बाद जून में फैसला सुरक्षित कर लिया था.

हिंदू पक्ष के सिविल वाद शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए हैं. दावा है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया है. इसलिए उस विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा का अधिकार है. वहीं, वादियों की विधिक हैसियत पर सवाल खड़ा करते हुए मुस्लिम पक्ष का कहना है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह कमेटी के बीच कोई विवाद नहीं है.

विवाद खड़ा करने वाले पक्षकारों का जन्मभूमि ट्रस्ट और ईदगाह कमेटी से कोई रिश्ता, वास्ता और सरोकार नहीं हैं. इसके अलावा यह भी तर्क दिया है कि ईदगाह स्थल वक्फ की संपत्ति है. 15 अगस्त 1947 को यह मस्जिद कायम थी. पूजा का अधिकार अधिनियम के तहत अब धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता. बरहाल, महीनों चली लंबी बहस के बाद गुरुवार को फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों को तगड़ा झटका दिया है.

हिंदू पक्षकारों की दलील
श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है.

बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है.
ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है.

शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रेकॉर्ड नहीं है.

मुस्लिम पक्षकारों की दलील
उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.

मुस्लिम पक्षकारों की दलील है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है. 60 वर्ष बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है. लिहाजा मुकदमा चलने योग्य नहीं है.

15 अगस्त, 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है, वैसी ही बनी रहेगी. यानी उसकी प्रकृति बदली नहीं जा सकती है.

Latest News

बोतल में लगाना चाहते हैं मनी प्लांट? जान लें ये सीक्रेट तरीका, तेजी से ग्रो करेगा पौधा

Money Plants Grow in a Bottle of Water: प्राकृतिक से प्रेम करने वाले लोग अक्‍सर अपने घरों को सजाने के...

More Articles Like This