jamaat e islami: बांग्लादेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण मामले को वहां के सुप्रीम कोर्ट ने तो खत्म कर दिया है, लेकिन वहां के विद्यार्थियों का हिंसक प्रतिरोध जारी है, जिसके मद्देनजर गुरुवार को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिविर पर प्रतिबंध लगा दिया.
दरअसल, इस कट्टरपंथी पार्टी द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा होने के संभावनाओं को देखते हुए यह प्रतिबंध लगाया गया है. वहीं, गृह मंत्रालय के सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग द्वारा गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख सहयोगी इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध की पुष्टि की गई.
शेख हसीना ने लगाया प्रतिबंध
यह प्रतिबंध इतालवी राजदूत एंटोनियो एलेसेंड्रो ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के आधिकारिक आवास गणभवन में उनसे मुलाकात के दौरान लगाया. इसी बीच हसीना ने कहा कि उन्होंने (जमात-शिबिर और बीएनपी) छात्रों को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर देश में चल रहे आंदोलन का शोषण करने का आरोप लगाते हुए सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया, जिसमें 150 लोग मारे गए.
इन पार्टियों ने किया समर्थन
बता दें कि सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14-पार्टी गठबंधन की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है. वहीं, इस हफ्ते के शुरुआत में ही जमात को राजनीति से प्रतिबंधित किए जाने से संबंधित एक प्रस्ताव पारित किया गया था. जमात पर प्रतिबंध लगाने का हालिया फैसला 1972 में ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग’ करने के लिए इसके शुरुआती प्रतिबंध के 50 साल बाद आया है.
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