What is Landslide: केरल का वायनाड जिला इस समय भारी प्राकृतिक त्रासदी का सितम झेल रहा है. 29 जुलाई को यहां पर हुए लैंडस्लाइड से भारी तबाही मची है. जानकारी के अनुसार यह घटना 29 जुलाई को देर रात करीब 2 बजे और 30 जुलाई की सुबह 4 बजे के बीच की है. वायनाड जिले के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में आई इस तबाही में अबतक 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई. सैकड़ों की संख्या में लोग लापता है. राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है. सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है.
29 जुलाई को हुए इस हादसे के कारण यहां पर मकानें ध्वस्त हो गई हैं. लैंडस्लाइड वाली जगह पर उफनती नदी, कीचड़ और लकड़ियों के विशाल ढेर नजर आ रहे हैं. राहत और बचाव कार्य जारी है. इस मंजर की कल्पना करके भी दिल कांप जाता है. इस बीच सबके मन में सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि आखिर लैंडस्लाइड क्या है और कब बारिश लैंडस्लाइड की वजह बन जाती है? आइए आपको सब कुछ बताते हैं…
क्या होता है लैंडस्लाइड?
दरअसल, जब भारी मात्रा में चट्टान, मलबा, चट्टानों की मिट्टी, चट्टान और कीचड़ -मलबा का अचानक तेज बहाव आता है या फिर ये सभी नीचे गिरते और खिसकते हैं तो इसको लैंडस्लाइड कहा जाता है. लैंडस्लाइड यानी भूस्खलन के कई कारण हो सकते हैं. इसमें बारिश, भूकंप, बर्फ का पिघलना, ज्वालामुखी का फटना, माइनिंग, जंगलों की कटाई इत्यादि शामिल है. अक्सर पठारी इलाकों में ही लैंडस्लाइड की घटनाएं होती हैं. भारत में अधिकतर लैंडस्लाइड की घटनाएं बारिश के कारण ही देखने को मिलती हैं. औसतन देशभर में हर साल लैंडस्लाइड की 20-30 बड़ी घटनाएं दर्ज की जाती हैं.
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भूस्खलन के कारण क्या हैं?
उल्लेखनीय है कि भूस्खलन के कई कारण हो सकते हैं. जिसमें प्राकृतिक घटनाएं और मानवीय हस्तक्षेप दोनों शामिल हैं. लैंडस्लाइड की सबसे बड़ी वजह पेड़ों की कटाई को माना जाता है. विकास के नाम पर लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं. पेड़-पौधों की कटाई के कारण जंगल से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है. ऐसा इसिलिए क्योंकि इससे चट्टानों की पकड़ ढीली हो जाती है. इस कारण से भी लैंडस्लाइड होता है. पेड़ों की जड़ें मिट्टी और चट्टानों को बांधने में मदद करती हैं, इसके अलावा भूकंप और लगातार मूसलाधार बारिश के कारण भी लैंडस्लाइड का खतरा होता है.
द प्रिंटलाइंस-