RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति कमेटी (MPC) की बैठक 6 अगस्त, मंगलवार से शुरू होने वाली है. एमपीसी की बैठक का निर्णय 8 अगस्त को घोषित किया जाएगा. केंद्रीय बैंक लगातार नौवीं बार भी रेपो दर को पहले की तरह बरकरार रख सकता है. विश्लेषकों के मुताबिक, हाल के महीनों में खाद्य महंगाई के ऊंचे स्तर को लेकर रिजर्व बैाक की परेशानी बढ़ गई है. इस वजह से दरों में कमी की कोई गुंजाइश अभी अक्टूबर तक नहीं है.
यथावत रह सकता है रेपा रेट
विश्लेषकों का कहना है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी से केंद्रीय बैंक की मौजूदा स्तर पर दरें यथावत रखने की गुंजाइश आगे भी जारी रहेगी. बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, रेपो रेट में कमी तभी आएगी, जब रिजर्व बैंक को यह विश्वास हो जाएगा कि महंगाई का दबाव कम हो रहा है, या आगे कम होने वाला है. रिपोर्ट के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति लगातार हाई लेवल पर है. जून में खुदरा महंगाई चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. मई में यह 4.8 प्रतिशत पर रही थी. इसके साथ ही महंगाई दर लगातार 57वें महीने रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है.
खाद्य मुद्रास्फीति महंगाई दर में वृद्धि की वजह
पिछले कुछ महीनों में महंगाई दर में अधिकतर बढ़ोत्तरी खाद्य मुद्रास्फीति के वजह से हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, सब्जियों और दालों की कीमतें पिछले 8 महीनों और 13 महीनों में 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है. ऐसे में मुख्य महंगाई में कमी की उम्मीद टूट रही है. इनके अलावा आलू, टमाटर और प्याज भी लगातार महंगाई पर दबाव बनाए हुए हैं. जुलाई में इनकी कीमतें 50 फीसदी से अधिक तक बढ़ गई थीं. जिससे आने वाले समय में महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद कम लग रही है.
दिसंबर में रेपो दर में हो सकती है कटौती
रिपोर्ट की मानें तो दिसंबर से पहले रेपो दर या आरबीआई के रुख में कोई बदलाव होने की संभावना बहुत कम है. आरबीआई की नजर आने वाले आंकड़ों पर होगी. अगर उसमें कुछ सकारात्मक दिखता है तो रेपो रेट में कमी आ सकती है. हालांकि दिसंबर से पहले इसकी कोई उम्मीद नहीं है.
ये भी पढ़ें :- महाराष्ट्र में भारी बारिश बनी आफत, IMD ने दिल्ली-यूपी के लिए जारी किया येलो अलर्ट