कंगाल पाकिस्तान को मिला काले और नीले सोने का खजाना, बदल सकती है किस्मत, जानें कैसे

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pakistan Oil Reserves: कंगाली की हालत से जूझ रहे पाकिस्तान को काले और नीले सोने का विशाल भंडार मिला है. काला और नीला सोना का मतलब तेल और गैस हैं. काले और नीले सोने के विशाल भंडार की खोज खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कोहाट के ताल ब्लॉक जिले में हुई हैं. इसके रजगीर-1 फॉर्मेशन से ऐसे आशाजनक भंडारों का पता चला है, जो पाकिस्तान के ऊर्जा संसाधनों को काफी हद तक मजबूत बनाने का काम कर सकता है.

ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (OGDCL) के मुताबिक, यह कुआं वर्तमान में प्रतिदिन करीब 159 बैरल तेल और 16.4 मिलियन मानक क्यूबिक फीट गैस का प्रोडक्‍टशन कर रहा है. अगर इस जगह से और ज्यादा तेल और गैस का प्रोडक्‍शन होता है, तो पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा आवश्‍यकताओं के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा. इससे पाकिस्तान का बेशकीमती विदेशी मुद्रा भंडार बचेगा और मुल्‍क की कंगाली दूर होने की संभावना है.

अगले साल से शुरू होगी ड्रिलिंग

इस विशाल भंडार की खोज ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड, पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (PPL) और पाकिस्तान ऑयलफील्ड्स लिमिटेड (POL) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास का रिजल्‍ट है. इसमें अगले साल जनवरी से ड्रिलिंग ऑपरेशन शुरू की जाएगी. यह हालिया खोज पिछले महीने ताल ब्लॉक में एक और सफल खोज के बाद हुई है, जो ऊर्जा के समृद्ध सोर्स के तौर पर इस क्षेत्र की क्षमता को और अधिक रेखांकित करती है. पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड के अनुसार, संयुक्त उद्यम की खोज गतिविधियों ने सकारात्मक परिणाम देना जारी रखा है, जो पाकिस्तान की ऊर्जा आवश्‍यकताओं को पूरा करने में ताल ब्लॉक के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डालता है.

पाक की कंगाली दूर करने की क्षमता

OGDCL ने इस विकास के बारे में सरकार और पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज दोनों को तुरंत इंन्‍फोर्म किया है, जो संभावित आर्थिक लाभों और देश की ऊर्जा सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव को दिखाता है. इस ऐलान को आशावाद के साथ देखा गया है, क्योंकि इससे पाकिस्तान के घरेलू ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोत्‍तरी और आयातित ईंधन पर कम निर्भर होने की उम्मीद है. रज़गीर-1 में खोज को पाकिस्तान के सामने आने वाली ऊर्जा चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की उम्मीद देता है.

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