Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य जब हुआ, समय भाद्रमास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथि, बुधवार दिन, रोहिणी नक्षत्र, रात्रि बारह बजे का समय, दिशाएं निर्मल, शीतल मंद सुगंध पवन चलने लगी, हर वृक्ष पर पुष्प निकल आये, भौंरे गूंजने लगे। सबको स्वागत करना है श्री ठाकुर जी का! विमान में देवता आये देवियां सोने के थाली में आरती लेकर खड़ी हो गईं कि जब प्रभु प्रकट होंगे तो हम आरती करेंगे।
देवता विमान में पुष्प भरकर लाये थे, प्रभु के प्रकट होने पर वर्षा करने के लिये, गंधर्व और किन्नर तैयार थे नाचने के लिए और बाजे बजाने के लिए कि जब ठाकुर जी का जन्म होगा तो एकदम बादलों की ध्वनि होगी और हम नाचेंगे। जब कोई खुशी होती है तो उसे नाचकर, गाकर और दान देकर पूरा करना चाहिये। पौत्र का जन्म होता है तो दादा भी नाचता है और अपनी झुकी हुई कमर से दादी भी नाचती है।
संसार के नाशवान पुत्र और पुत्रों के लिये यदि आप ख़ुशी मना सकते हो, आज जब भगवान् आपके सामने प्रकट हो रहे हैं, उसकी तो आपको ज्यादा खुशी मनानी चाहिये। जो भगवान की खुशी मनाता है, उसके घर में सदा खुशियां समाई रहती हैं, उसके घर सदा मंगल होता है। राम भगवान दिन में बारह बजे प्रगट हुए और भगवान् श्रीकृष्ण रात को ठीक बारह बजे प्रकट हुए। इसका क्या कारण है? भगवान ने बारह बजे का चुनाव क्यों किया? इसका समाधान यह है कि या तो ज्ञान का सूर्य पूरी तरह प्रकाशित हो जाये तब परमात्मा प्रकट हो सकते हैं या व्यक्ति निराशा के घने अंधकार में गिर जाये और व्याकुल होकर भगवान को पुकारे तब भगवान प्रकट होते हैं।
दो ही कारणों से भगवान् प्रकट होते हैं, या तो जब पूर्णतया दुःखी होकर भगवान् को व्यक्ति पुकारता है या जब ज्ञान का पूर्ण प्रकाश व्यक्ति जीवन में फैला है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).