Wayanad Landslide: केरल के वायनाड में 29 और 30 जुलाई को हुए भूस्खलन के बाद भारी तबाही मची थी. इस आपदा में सैकड़ों की संख्या में लोगों की जान गई है. अभी भी 152 लापता लोगों की तलाशी चल रही है. इस त्रासदी में अब तक 413 लोग हताहत हो चुके हैं. जानकारी के अनुसार तलाशी अभियान अभी मुंडाकायिल और पंचिरिमाटोम इलाकों में चल रहा है.
आपदाग्रस्त इलाके में बचाव और राहत अभियान का नेतृत्व राज्य के पर्यटन मंत्री पी.ए. मोहम्मद रियास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान शुक्रवार को समाप्त होगा और रविवार को फिर से ग्रामीणों की मदद से इसी तरह का तलाशी अभियान चलाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रामीण इस क्षेत्र से भली भांति परिचित हैं.
यहां पर हुए भूस्खलन के बाद भारी मात्रा में जान माल का नुकसान हुआ है. त्रासदी के बाद से बचाव अभियान अभी जारी है. शुक्रवार को कुछ टीमों ने चालियार नदी के आस पास के क्षेत्रों में सर्च अभियान चलाया, जहां से 78 शव मिले हैं. वहीं, 150 से अधिक शारीरिक अंग प्राप्त हुए हैं.
केरल हाई कोर्ट पहुंचा मामला
केरल और विशेषकर वायनाड के लिए शुक्रवार का दिन काफी अहम रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि केरल हाई कोर्ट ने स्वत: पूरे मामले का संज्ञान लिया और मामला दर्ज करने का फैसला लिया. केरल के उच्च न्यायालय ने उन मीडिया रिपोर्ट्स और पत्रों के आधार पर मामला दर्ज किया है, जिसमें कहा गया था कि वायनाड में पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों का बेलगाम शोषण किया गया.
चेतावनी को किया गया नजरअंदाज
जानकारी के अनुसार पहले ही कई विशेषज्ञों ने इस विषय पर चेताया था. विशेषज्ञों का कहना था कि कई स्थानों पर लचर प्रबंधन के कारण इस तरीके की आपदा घट सकती है. ऐसे संकेत मिलने के बाद भी अधिकारी चुप रहे और हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे.
यह भी आरोप है कि केरल में पिछले कई सालों में कई सरकारें बनी लेकिन कस्तूरीरंगन और माधव गाडगिल जैसे बड़े विशेषज्ञों की रिपोर्ट्स पर ना ध्यान दिया गया ना विचार किया गया. केरल में पर्यावरण बचाने को लेकर तमाम बातें कही गईं, लेकिन इससे निपटने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.