Indonesia: वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सैकड़ों साल पहले इंडोनिशया के द्वीप पर छोटे कद के मानव रहते थे. इंडोनेशिया में प्राचीन मानव शरीर के अवशेषों (Fossil) के अध्ययन से वैज्ञानिकों को पता चला है कि 60 हजार वर्ष पहले इस द्वीप पर रहने वाले मानवों की लंबाई आज के मुकाबले बहुत कम हुआ करती थी. आइए जानते हैं नए अध्ययन में क्या है.
प्राचीन मानव थे बेहद छोटे कद के
दरअसल, अवशेषों की खोज के दौरान इंडोनेशिया के एक द्वीप पर बांह की एक छोटी सी हड्डी और दांत वैज्ञानिकों के हाथ लगा है. इनका अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिक ने दावा किया है कि प्राचीन मानव ‘हॉबिट्स’ (होमो फ्लोरेसिएंसिस) की लंबाई करीब 101 से 106 सेंटीमीटर, यानी 3.3 से 3.5 फीट तक थी. इन छोटी लंबाई के हॉबिट्स के बारे में अभी भी कई रहस्य सुलझना हैं.
पहली बार मानव हड्डियों के अवशेष फ्लोरेस द्वीप पर 2003 में पाए गए थे. इस द्वीप पर पाई गई हड्डी इतनी छोटी थी कि पहले तो अध्ययनकर्ताओं को यह हड्डी किसी बच्चे की लगी. लेकिन बाद में शोध में जानकारी मिली है कि यह हमारे हाथ के ऊपरी हिस्से, यानी बांह की हड्डी ‘ह्यूमरस’ है. ऐसे में यह अब तक की प्राप्त हुई सबसे छोटी ह्यूमरस हड्डी मानी जा रही है. नेचर कम्युनिकेशंस जनरल में इस शोध का प्रकाशन हुआ है.
होमो फ्लोरेसिएंसिस की कद कैसे हुई छोटी
हॉबिट्स यानी होमो फ्लोरेसिएंसिस की लंबाई कैसे छोटी हुई इस बात को लेकर वैज्ञानिकों के अलग अलग मत हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये होमो फ्लोरेसिएंसिस पहले से ही छोटे कद के रहे होमिनिन से विकसित हुए, जो तकरीबन 10 लाख वर्ष पहले इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पहुंचे थे. वहीं अन्य वैज्ञानिकों का दावा है कि होमो इरेक्ट्स, जो हमारे पूर्वज हैं, जो हमारी ही कद के थे और पूरे एशिया में फैले हुए थे, वे इस द्वीप पर फंस गये और 3 लाख वर्षों में छोटी कद वाले होमो फ्लोरेसिएंसिस के रूप में बदल गए. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस नयी खोज में जो छोटे दांत मिले हैं, वे होमो इरेक्ट्स के दातों के छोटे रूप की तरह लगते हैं.
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