बांग्लादेश में फिर होगा कट्टरपंथियों का बोलबाला! जमात-ए-इस्लामी से प्रतिबंध हटा

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Bangladesh: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी संगठन से प्रतिबंध हटा दिया है. इस संगठन पर शेख हसीना के शासनकाल में आतंकी गतिविधियों में संलिप्‍तता होने के आरोप में प्रतिबंध लगाया गया था. लेकिन अब यूनुस सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया है. मालूम हो कि यह संगठन बांग्लादेश की मुख्य इस्लामी पार्टी है, जो धार्मिक कट्टरपंथ के लिए कुख्यात है. यूनुस सरकार ने बैन हटाते हुए कहा कि उसे जमात-ए-इस्लामी के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. जमात पर छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान घातक हिंसा भड़काने का आरोप लगा था, जो शेख हसीना के खिलाफ विद्रोह में बदल गया. इसी विद्रोह और हिंसा के चलते शेख हसीना को 5 अगस्त को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा.

यूनुस सरकार ने प्रतिबंध हटाते हुए कहा…

पूर्व पीएम शेख हसीना के प्रशासन की जगह लेने वाली मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने बुधवार को जारी एक गजट अधिसूचना में कहा कि जमात और उसके सहयोगियों के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का कोई विशेष सबूत नहीं है. पार्टी ने हिंसा भड़काने के आरोपों से इनकार किया है और प्रतिबंध की निंदा करते हुए इसे अवैध, न्यायेतर और असंवैधानिक” बताया है. जमात बांग्लादेश में चुनाव नहीं लड़ पा रही है, क्योंकि 2013 में एक कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दल के तौर पर इसका पंजीकरण बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ टकराव करता है.

बांग्लादेश में फिर होगा कट्टरपंथ का बोलबाला

पार्टी के वकील शिशिर मोनिर ने कहा कि वह अपने रजिस्‍ट्रेशन को बहाल करने के लिए अगले हफ़्ते की शुरुआत में सर्वोच्‍च न्‍यायालय में याचिका दायर करेगी. जमात-ए-इस्लामी का पाकिस्तान से गहरा रिश्‍ता है. बांग्लादेश की आजादी के वक्‍त भी जमात के नेता शेख मुजीबुर्रहमान के विरोध में थे. उन्होंने हर कदम पर पाकिस्तान का साथ दिया, लेकिन जन विद्रोह के आगे उनको भी नतमस्‍तक होना पड़ा. बांग्लादेश की आजादी के बाद भी जमात के नेता अवामी लीग के खिलाफ रहे हैं. इस संगठन के नेताओं की धार्मिक आधार पर बांग्लादेश को विभाजित करने और आतंकवाद फैलाने जैसी घटनाओं में संलिप्‍तता रही है.

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