SEBI: भारत के प्राइमरी मार्केट में आजकल काफी चहल-पहल दिखाई दे रही है. लाभ कमाने के उद्देश्य से हर-छोटी बड़ी कंपनियां लगातार आईपीओ लॉन्च कर रही हैं. वहीं आईपीओ में लिस्टिंग गेन लेने के लिए पैसा लगाने के लिए निवेशक भी नहीं चूक रहे हैं. हालांकि इस अंधी दौड़ में कई कंपनिया और प्रमोटर निवेशकों के साथ फ्रॉड भी कर रहे हैं. जिससे निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. अब सेबी इन सब चीजों को देखते हुए एक्शन मोड में आ गई है और अपने नियम सख्त करने का फैसला लिया है. इस बदलाव का लाभ करोड़ो छोटे निवेशकों को मिलेगा. साथ ही कंपनियां भी गलत ढंग से बाजार से पैसा नहीं जुटा पाएंगी.
नियमों को कड़ा करने की तैयारी
शुक्रवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने कहा कि पूंजी बाजार नियामक एसएमई आईपीओ की निगरानी करने वाले नियमों को सख्त करेगा. यह टिप्पणी सेबी द्वारा निवेशकों को कई लघु एवं मझोले उद्यमों (SME) के भ्रामक कारोबारी अनुमानों के बारे में चेताने के कुछ दिन बाद आई है. अश्विनी भाटिया ने बताया कि इस साल के खत्म होने से पहले इस पहलू पर एक परिचर्चा पत्र लाने का प्लान है.
उन्होंने कहा कि इन परिवर्तनों में बेहतर निगरानी और लेखा परीक्षकों के मोर्चे पर कड़ी जांच सम्मिलित हो सकती है. उन्होंने कहा कि अगर चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) अपना काम अच्छे से करें तो समस्याओं से बचा जा सकता है. भाटिया ने कहा कि प्राथमिक निर्गम वित्त वर्ष के पहले पांच महीने में ही दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं, जबकि पिछले पूरे फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में यह आंकड़ा 1.97 लाख करोड़ रुपये का था.
निवेशकों को किया आगाह
विनियामक ने निवेशकों को ऐसी छोटी एवं मझोली कंपनियों (SME) के शेयरों में निवेश करने के खिलाफ आगाह किया, जो अपने परिचालन की झूठी तस्वीर दिखाकर शेयर प्राइस में हेरफेर करती हैं. सेबी ने बयान में कहा कि यह बात संज्ञान में आई है कि लिस्टिंग के बाद कुछ एसएमई कंपनियां या उनके प्रमोटर्स ऐसी सार्वजनिक ऐलान कर रहे हैं, जिनसे उनके परिचालन की पॉजिटिव छवि बनती है. ऐसी घोषणाओं के बाद बोनस निर्गम, शेयर विभाजन और तरजीही आवंटन जैसी कई कॉरपोरेट कार्रवाइयां की जाती हैं. हाल ही में विनिमय बोर्ड ने ऐसी इकाइयों के खिलाफ आदेश पास किए हैं.
यह देखा जा सकता है कि इन इकाइयों की कार्यप्रणाली मोटे तौर पर ऊपर बताए गए तरीकों जैसी ही है. उभरती कंपनियों के लिए धन इकट्ठा करने के वैकल्पिक सोर्स के तौर पर काम करने के लिए शेयर बाजारों के एसएमई प्लेटफॉर्म को साल 2012 में शुरू किया गया था. तब से, एसएमई इश्यू की संख्या में इजाफा हुआ है. इसके साथ ही ऐसे प्रस्तावों में निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ी है. पिछले दशक के दौरान इस प्लेटफॉर्म के जरिए 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक इकट्ठा किए गए हैं, जिनमें से तकरीबन 6 हजार करोड़ रुपये केवल पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इकट्ठा किए गए.
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