China: चीन दर्जनों अफ्रीकी देशों के नेताओं को बुलाकर शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है. इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए अफ्रकी देशों का एक विशाल प्रतिनिधिमंडल बीजिंग पहुंचा है. यह सम्मेलन अगले तीन दिन तक चलेगा. इस बैठक के जरिए चीन यह दिखाना चाहता है कि वह भले ही कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था और पश्चिमी देशों के साथ चल रहे तनाव से परेशान है लेकिन अफ्रीका महाद्वीप का बड़ा पार्टनर बना रहेगा. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के बीच चीन ने यह कदम उठाया है.
अफ्रीकी देश और चीन की बड़ी बैठक
चीन पहुंचने पर इन अफ्रीकी नेताओं का जोरदार स्वागत हुआ. चीनी अधिकारियों का दावा है कि यह सम्मेलन हाल के दिनों में हुआ सबसे बड़ा राजनयिक जुटान है. साल 2018 के बाद यह चीन और अफ्रीकी देशों के नेताओं के बीच पहली बड़ी बैठक है. अफ्रीका महाद्वीप वही इलाका है जहां पर चीन ने अपना एकमात्र घोषित मिलिट्री बेस स्थापित किया है. यह चीनी सैन्य अड्डा जिबूती में स्थित है.
हाल के दशकों में चीन ने पूरे अफ्रीका में बहुत बड़े पैमाने पर हाइवे, पावर प्लांट और रेलवे लाइन बनाए हैं. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने जहां अपनी बीआरआई नीति के तहत इन प्रॉजेक्ट के लिए पैसा दिया और अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ाया है, वहीं इसकी कड़ी आलोचना भी हो रही है. इसकी वजह से अफ्रीका के कई देश करोड़ों डॉलर के कर्ज तले दब गए हैं.
बीआरआई कर्ज की हो रही आलोचना
बीआरआई कर्ज को लेकर हो रही आलोचनाओं और अपनी आर्थिक सुस्ती के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके मंत्री अब नया सुर अलाप रहे हैं. अब चीन छोटा मगर खूबसूरत’ निवेश का नारा देने जा रहा है. इसके साथ ही चीन ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे सोलर ऊर्जा पर जोर दे रहा है जिसे बनाने में दुनिया में चीन को महारत हासिल है. चीन अब इस टेक्नोलॉजी को अफ्रीकी देशों को बेचकर पैसा कमाना चाहता है. चीन की कोशिश है कि वह दुनिया में गरीब और विकासशील देशों का अगुवा बनकर उभरे.
चीन की नई चाल कितना असरदार होगा?
चीन की यह नई चाल कितना असरदार होगा, यह बड़ा सवाल है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने शी जिनपिंग के साथ सोमवार को मुलाकात के दौरान खुलकर कहा है कि चीन व्यापार घाटे को कम करे. इसके अलावा व्यापार के ढांचे की चुनौतियों को दूर करे. इस बैठक में शामिल हो रहे कई देश चीन के कर्ज में डुबे हुए हैं. साल 2021 में जिनपिंग ने वादा किया था कि अफ्रीकी देशों से 300 अरब डॉलर का आयात किया जाएगा. ताजा सम्मेलन में इसकी भी जांच की जाएगी. चीन सोने से लेकर रणनीतिक तौर पर अहम कई खनिज जैसे कॉपर, कोबाल्ट आदि को अफ्रीका से जमकर निकाल रहा है और इसे बहुत ज्यादा दाम पर बेचकर मुनाफा कमा रहा है.
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