Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच बीते 2 साल से भी अधिक समय से चल रही जंग अब अपने निर्णायक मोड़ पर है. अब बातचीत के जरिए यह जंग खत्म होने के कगार पर है. भारत रूस-यूक्रेन जंग को सुलझाने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकटमोचक और भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजीत डोभाल इस जंग को खत्म कराने की जिम्मादारी संभालने जा रहे हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल रूस जा रहे हैं, जहां वह शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका अदा करेंगे. लेकिन आपको बता दें कि एनएसए अजित डोभाल रूस में अकेले नहीं होंगे. इस जंग को खत्म कराने के लिए उनके पीछे-पीछे एक और शख्स जा रहा है. वह शख्स चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बेहद खास है.
डोभाल के संग और कौन होगा?
पीएम मोदी के रूस और यूक्रेन दौरे के बाद एनएसए अजीत डोभाल 10-11 सितंबर को मॉस्को की यात्रा करेंगे. इस दौरान डोभाल का फोकस रूस-यूक्रेन जंग में शांति समझौते कराने पर रहेगी. डोभाल मुख्य रूप से मॉस्को में होने वाले BRICS (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) एनएसए के समिट में भाग लेने जा रहे हैं. मध्यस्थ के तौर पर जहां भारत से अजीत डोभाल रहेंगे, तो वहीं चीन की ओर से जिनपिंग के खास वांग यी रहेंगे.
यहां खास बात है कि डोभाल और वांग यी ही भारत-चीन सीमा समाधान पर बातचीत के लिए खास प्रतिनिधि हैं. यह बैठक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म करने के लिए दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को लेकर नये सिरे से जारी प्रयासों के बीच हो रही है.
रूस में क्या करेंगे डोभाल?
सूत्रों के मुताबिक, अजीत डोभाल अपने रूसी समकक्ष के साथ वार्ता करेंगे और क्षेत्र में शांति लाने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे. उनकी इस यात्रा के दौरान यूक्रेन युद्ध पर बातचीत करने के लिए चीन के एनएसए वांग यी भी उपस्थित रहेंगे.
युद्ध के मैदान में नहीं मिल सकती शांति: पीएम मोदी
मालूम हो कि इससे पहले 40 दिनों के अंदर पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन की यात्रा की थी. रूस यात्रा के दौरान जब पीएम मोदी राष्ट्रपति पुतिन से मिले थे तब उन्होंने स्पष्ट कहा था कि युद्ध के मौदान में शांति नहीं मिल सकती है. युद्ध खत्म करने का एक मात्र जरिया बातचीत है.
वहीं बीते गुरुवार को खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने एक पैनल चर्चा में कहा कि रूस-यूक्रेन जंग सुलझाने में भारत और चीन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. वहीं शुक्रवार को इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से चर्चा करने के बाद कहा था कि इस संघर्ष का हल ढूंढने के लिए चीन और भारत अहम भूमिका निभा सकते हैं. यही वजह है कि अब भारत भी अपना शांतिदूत वाला भूमिका निभाने को तैयार है.
ये भी पढ़ें :- India UAE Trade Deal: इस व्यापार समझौते की समीक्षा करेंगे भारत और UAE, जानिए वजह