Space News: आज ही ISRO ने चांद पर लहराया था तिरंगा, जानें गौरवान्वित करने वाले 10 स्पेस मिशन

पानी न आने पर हम पृथ्वी पर टैंकर मंगवा लेते हैं. आइए आपको बताते हैं कि स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों को पानी कैसे मिलता है. 

जरा सोचिए सुनीता विलियम्स कई हफ्ते से स्पेस में हैं. वापस लौटने की तारीख भी तय नहीं है, तो वह पानी कैसे पीती होंगी? 

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर रहने वाले अंतरिक्षयात्रियों की भी पृथ्वी के आम लोगों की तरह बुनियादी जरूरतें होती हैं. 

खाना खाने पानी पीने और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन और टॉयलट का इस्तेमाल करना होता है. वहीं कुछ स्टेशनों तक पहुंचाना आसान नहीं होता है. भेजने पर काफी खर्च आता है. 

जानकारी के अनुसार एक 4-5 लीटर का पानी का गैलन धरती से स्पेस स्टेशन तक पहुंचाने में 83,000 डॉलर का खर्च आएगा. 

एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष यात्री को पीने और दूसरे काम के लिए रोज 12 गैलन पानी की जरूरत होती है. 

ऐसे में मिशन पर होने वाले खर्चे का बड़ा हिस्सा पानी पहुंचाने में खत्म हो जाएगा. इसके अलावा बार-बार वाटर टैंक को ISS पर नहीं भेजा जा सकता. 

NASA ने एक वाटर सिस्टम जरूर लगा रखा है जो पीने योग्य तरल पदार्थों की आखिरी बूंद भी निचोड़ लेता है. इससे अंतरिक्षयात्रियों को फिल्टर वाला पानी मिल जाता है. 

इसमें शॉवर का पानी भी होता है. इमर्जेंसी के लिए स्टेशन पर लगभग 530 गैलन पानी भी रखा जाता है. 

आईएसएस पर ये जल सिस्टम अंतरिक्षयात्रियों की पीने के पानी की जरूरत को पूरा करने के साथ ही शॉवर से नमी को इकट्ठा भी करता रहता है. इसे फिल्टर करके फिर से पीने और इस्तेमाल करने योग्य पानी तैयार किया जाता है.

एक्सपर्ट की मानें, तो इसका टेस्ट बोतलबंद पानी की तरह ही होता है. वैसे, स्टेशन के सभी अंतरिक्षयात्री रिसाइकल किया पानी नहीं पीते हैं. ISS दो हिस्सों में बंटा है. एक रूस संचालित करता है और दूसरा अमेरिका. 

अमेरिका के पास दो अलग-अलग जल प्रणाली है. इसके जरिए रोज लगभग 3.6 गैलन पीने योग्य पानी बनाने के लिए शॉवर का पानी इकट्ठा किया जाता है. 

दूसरी तरफ रूसी अंतरिक्ष यात्री केवल शॉवर का पानी और हवा में मौजूद पानी को एकत्र कर रिसाइकिल किया हुआ पानी पीते हैं. इसमें 3.6 गैलन से कम उत्पादन किया जाता है. 

आईएसएस के दोनों किनारे अपने पानी को दो अलग-अलग तरीकों से कीटाणुरहित करते हैं. करीब 50 साल से नासा पानी को कीटाणुरहित करने के लिए आयोडीन का उपयोग कर रहा है. 

इस प्रक्रिया से पानी को फिल्टर करने की आवश्यकता होती है. अधिक आयोडीन थायरॉयड की समस्या पैदा कर सकता है. रूस पानी को कीटाणुरहित बनाने के लिए चांदी का उपयोग करता है.