Netherlands Military Power: यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है. इसी बीच रूस के बढ़ते हमले की आशंका को देखते हुए नाटो का एक संस्थापक देश अपनी सेना को शक्तिशाली बना रहा है. इसके लिए उसने दुनिया का सबसे पावरफूल लड़ाकू विमान एफ-35 को खरीदने का फैसला किया है. इसके अलावा अपने नौसैनिक बेड़े में पनडुब्बी रोधी फ्रिगेट को शामिल करने और मेन बैटल टैंक को बदले का फैसला किया है. यह देश उत्तरी सागर के किनारे बसा है. इस देश का नाम है नीदरलैंड. जी हां, नीदरलैंड एक अधिक विश्वसनीय सैन्य बल तैयार करना चाहता है जो किसी भी आक्रमण को रोकने में सक्षम हो.
डिफेंस बजट बढ़ाएगा नीदरलैंड
नीदरलैंड की सरकार डिफेंस एक्सपेंडिचर में प्रति वर्ष 2.4 बिलियन यूरो यानी 2.65 बिलियन डॉलर की बढ़ोत्तरी करेगी. इसमें लड़ाकू शक्ति पर 1.5 बिलियन यूरो का अतिरिक्त खर्च भी है. नीदरलैंड ने यह भी कहा कि अपने डिफेंस बजट को बढ़ाकर प्रति वर्ष 24 बिलियन यूरो तक ले जाएगा, जो 2022 में रक्षा पर नीदरलैंड के खर्च किए गए बजट का करीब दोगुना है. इसे लेकर नीदरलैंड की सरकार ने डिफेंस पेपर भी रिलीज किया है, जिसमें भविष्य की सैन्य योजनाओं और उन्हें लागू करने की नीतियों का एक खाका तैयार किया गया है.
रूस के हमले की आशंका से सहमा नीदरलैंड
डिफेंस पेपर में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद नीदरलैंड को लिथुआनिया या पोलैंड जैसे नाटो सदस्य देशों पर रूसी हमले की आशंका को लेकर तैयार रहने की आवश्यकता है. यूरोपीय देश नीदरलैंड के रक्षा राज्य सचिव गिज्स टुइनमैन ने गुरुवार को पेपर को जारी करते हुए कहा कि नीदरलैंड को हाल के दशकों के पसंद के युद्धों के बजाय जरूरत के युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. वहीं रक्षा मंत्री रूबेन ब्रेकेलमैन्स ने कहा कि क्रूर हमले से पता चलता है कि नाटो गठबंधन पर हमला अब अकल्पनीय नहीं है. हमें अपने दुश्मनों को रोकने, नाटो की बाहरी बॉर्डर की रक्षा करने और यूरोप में आगे के युद्ध को रोकने के लिए काम करना होगा. हमारे पास इसमें खोने के लिए कोई वक्त नहीं है.
युद्ध के लिए सेना को तैयार कर रहा देश
रक्षा मंत्री ब्रेकेलमैन्स ने कहा कि नीदरलैंड भले ही शांतिपूर्ण लग रहा हो, लेकिन हकीकत में यह देश न तो शांति और न ही युद्ध के ग्रे जोन में है, जो डिजिटल सिस्टम, कंपनियों, बिजली ग्रिड और बंदरगाहों पर दैनिक हमलों और लगातार जासूसी से जूझ रहा है. ब्रेकेलमैन्स ने कहा कि डच अब यह नहीं चुन सकते कि वे दुनिया के संघर्ष क्षेत्रों में कहां योगदान दे सकते हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय क्षेत्र की रक्षा के लिए तैयार रहना होगा.
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