International News: अब परमाणु बम भी होंगे AI से कंट्रोल, ड्रैगन के एक्शन ने बढ़ा दी अमेरिका-ब्रिटेन की टेंशन

परमाणु बम जैसे विनाशक हथियार का प्रयोग आखिरी विकल्प के तौर पर होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ये अपने साथ भयानक तबाही लाता है. वहीं अपने पीछे गहरे जख्म के निशान छोड़ जाता है. इसका खामियाजा पीढ़ियां भुगतती हैं. 

बीते 8 दशकों में तमाम संघर्षों के बावजूद परमाणु हथियारों का दूसरी दफा इस्तेमाल नहीं हुआ. न्यूक्लियर हथियारों को चलाने के लिए इंसानों पर भरोसा करना ही ठीक है. वरना 1983 के कोल्ड वार जैसी परिस्थितियां बन जाएंगी.

जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर अमेरिका ने 6 और 9 अगस्त  1945 को परमाणु बम गिराए थे. वह दुनिया में परमाणु बमों के इस्तेमाल का इकलौता वाकया है. 

इसके बाद के दशकों में रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, भारत समेत कई देशों ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पा ली. इससे छोटे संघर्षों के भी परमाणु युद्ध का खतरा बना रहता है.

अब AI का दौर आ गया है. अमेरिका, चीन समेत कई देश AI का सैन्य प्रयोग कर रहे हैं. इसके जरिए परमाणु हथियार को कंट्रोल करने की बात भी आ रही है.

इसी खतरे को कम करने के लिए दुनिया के 60 देश पिछले दिनों साउथ कोरिया में जमा हुए. उनका लक्ष्य यह घोषित करना था कि परमाणु हथियारों का नियंत्रण इंसानों के हाथ में ही रहेगा, AI के नहीं. 

अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश इस समझौते में शामिल हैं, लेकिन इस घोषणा और कार्यक्रम से चीन जैसे बड़े देश ने खुद को अलग रखा. रूस को यूक्रेन युद्ध के चलते नहीं शामिल किया गया. 

यानी दुनिया में परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा रखने वाले दो देश इस सोच से इत्तेफाक नहीं रखते. यह न सिर्फ अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों, बल्कि पूरी दुनिया का सिरदर्द बढ़ाने वाली बात है.

साउथ कोरियाई राजधानी सियोल में Responsible AI in the Military Domain समिट बुलाई गई थी. 100 देशों का न्योता गया था, करीब 60 देश आए. 

सियोल में इस साल REAIM समिट का दूसरा संस्करण आयोजित हुआ. इसमें 100 देशों ने भाग लिया था. इस साल की घोषणा में यह स्वीकार किया गया कि सैन्य क्षेत्र में AI के विकास के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए देशों को अभी लंबा रास्ता तय करना है. चीन ने कोई बयान नहीं दिया.

AFP के अनुसार, घोषणापत्र में परमाणु हथियार के AI नियंत्रण को रोकने की बात हुई. वहीं, उल्लंघन करने पर कोई प्रतिबंध या दंड का प्रावधान नहीं हुआ.

दरअसल, चाइना लगातार परमाणु हथियार के AI नियंत्रण की बात को खारिज करता रहा है. फिलहाल, दुनिया भर की सेना AI का इस्तेमाल निगरानी, सर्विलांस और एनालिसिस में करती हैं. 

AFP के अनुसार, भविष्य में AI का उपयोग लक्ष्य चुनने में भी किया जा सकता है. ज्यादातर देश इस बात से सहमत हैं. मिसाइल लॉन्च का फैसला  मनुष्य करते हैं.

चीन किस तरह से परमाणु हथियारों के साथ AI का इस्तेमाल करेगा, यह अभी साफ नहीं है. SIPRI का अनुमान है. बता दें कि चीन के पास 500 परमाणु हथियार है और वह इनका जखीरा लगातार बढ़ा रहा है.