Bangladesh: बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार हिंदुओं को सुरक्षा का विश्वास दिलाने में नाकाम रही है. यहीं वजह है कि सरकार के आने के एक महीने बाद भी हिंदू अपनी सुरक्षा के लिए प्रदर्शन करने को मजबूर है. शुक्रवार को ढाका और बांग्लादेश की वाणिज्यिक राजधानी चटगांव में हजारों हिंदू सड़कों पर उतर आए. बारिश के बावजूद भी प्रदर्शनकारियों ने अपनी आठ मांगों वाले पोस्टर हाथ में ले रखे थे. प्रदर्शन के दौरान बच्चे और महिलाएं भी अपने अधिकारों के लिए शामिल हुए. प्रदर्शनकारी हिंदुओं की मांग है कि उनके घरों और मंदिरों पर हमला करने वालों पर उचित कार्रवाई हो.
इन मांगों के साथ किया प्रदर्शन
चटगांव में हिंदू प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यक मामलों से निपटने के लिए एक अलग मंत्रालय की डिमांड की. अल्पसंख्यकों के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग और छात्रों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों को उनके साथ बैठने के लिए कहा. प्रदर्शनकारियों ने मुआवजा और पुनर्वास की मांग करते हुए कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वे वापसी नहीं करने वाले हैं. बता दें कि प्रदर्शन से ठीक दो दिन पहले मोहम्मद यूनुस ने सरकारी टेलीविजन पर कहा था कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.
नहीं छोड़ेंगे जमीन
हिंदूओं ने जोर देते हुए कहा कि वे किसी एजेंट के रूप में काम नहीं कर रहे हैं. चटगांव में महिलाओं सहित प्रदर्शनकारी दोपहर तीन बजे जमाल खान क्षेत्र में इकट्ठा हुए. खुद को बंगाली बताते हुए उन्होंने ऐलान किया कि वह इस जमीन को नहीं छोड़ेंगे. कुछ हिंदु प्रदर्शनकारियों ने मीडिया की भूमिका पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि मेन स्ट्रीम मीडिया ने उनकी आवाज नहीं सुनी.
फ्रांस से भी मिला समर्थन
हिंदू प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका में शाम करीब 4:30 बजे इसी तरह की मांगों के साथ ऐतिहासिक शाहबाग चौराहे को घेर लिया. इससे आवागमन बाधित हो गया. सुरक्षाबलों की उपस्थिति में सनातनी अधिकार आंदोलन के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें बांग्लादेश के कई हिंदू संगठनों ने हिस्सा लिया. इस बीच पेरिस के मानवाधिकार संगठन ‘जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश इन फ्रांस’ ने कहा कि हाल ही में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए हमलों की लहर गहरी चिंता का विषय है.
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