पिछले साल 9 दिन तक पृथ्वी पर लगे भूकंप के झटके, अब वैज्ञानिकों ने रहस्य का किया खुलासा

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Greenland Landslide Seismic Signal: पिछले साल सितंबर में पृथ्‍वी पर एक आश्‍चर्यजनक भूकंपीय घटना देखने को मिली थी. लगातार 9 दिनों तक पृथ्‍वी हिली थी. इस घटना ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. लेकिन आखिरकार वैज्ञानिकों ने इस रहस्‍यमयी भूकंपीय घटना के कारणों का पता लगा लिया है. एक शोधकर्ता ने बताया कि इसके पीछे ग्रीनलैंड फजॉर्ड में बर्फ पिघलने से पैदा हुई सुनामी थी.

सुनामी के कारण भूकंपीय घटना

हाल ही में साइंटिफिक जर्नल साइंस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2023 में दर्ज किए गए झटके ग्रीनलैंड के सुदूर पूर्व में डिक्सन फजॉर्ड में आगे और पीछे हिलती हुई विशाल लहरों से उत्‍पन्‍न हुए थे. रिपोर्ट के लेखकों में से एक डेनमार्क और ग्रीनलैंड के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के क्रिस्टियन स्वेनविग ने कहा  ‘इस घटना के बारे में पूरी तरह से आश्‍चर्य वाली बात यह है कि भूकंपीय संकेत कितनी देर रहे और उनकी फ्रीक्वेंसी कितनी स्थिर रही.’

उन्होंने कहा कि अन्य भूस्खलन और सुनामी से भी भूकंप के झटके महसूस किए जानते हैं, लेकिन केवल कुछ घंटों के लिए और बहुत ही स्थानीय स्तर पर. लेकिन इसे ग्‍लोबल लेवल पर पूरे अंटार्कटिक तक महसूस किया गया.’ शुरू में इस घटना ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया. उस समय वैज्ञानिकों ने इसे अज्ञात भूकंपीय वस्तु बताया, जिसका स्रोत भूस्खलन माना जा रहा था.

समुद्र में उठी 650 फीट की सुनामी

सितंबर 2023 में 882 मिलियन क्यूबिक फीट चट्टान और बर्फ टूटकर फ्योर्ड में जा गिरी. इतनी विशाल चट्टान के अचानक गिरने से भूस्खलन के वजह से इसके केंद्र में 650 फीट ऊंची सुनामी उत्‍पन्‍न हो गई. यहां से करीब 65 किलोमीटर दूर 10-12 फीट की ऊंचाई वाली सुनामी की लहरों ने एला द्वीप पर एक रिसर्च बेस को बर्बाद कर दिया. पृथ्वी विज्ञान में डॉक्टरेट और रिपोर्ट में शामिल वैज्ञानिक स्टीफन हिक्स ने बीबीसी न्यूज को बताया कि जब सहकर्मियों ने पिछले साल पहली बार इसका संकेत देखा तो यह भूकंप जैसा नहीं लग रहा था. यह 9 दिनों तक हर 90 सेकंड में आया.’

वैज्ञानिक रह गए हैरान

रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का एक समूह इस आश्चर्यजनक सिग्नल को लेकर ऑनलाइन बात कर रहे थे. टीम ने एक मॉडल बनाया जिसमें दर्शाया गया कि 9 दिनों तक लहर कैसे आगे पीछे होती रही. स्‍टीफन हिक्स ने बताया कि हमने इतने लंबे समय के लिए पानी का इतने बड़े पैमाने पर बहाव कभी नहीं देखा. रिपोर्ट के अनुसार, चट्टान का गिरना पहाड़ के बेस पर ग्लेशियर के पतले होने के वजह से हुआ. जलवायु परिवर्तन के चलते यह प्रक्रिया और भी तेज हो गए है.

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