India Canada Relation: भारत में रहने वाले करीब हर छात्र का सपना होता है कि वह विदेश जाकर पढ़ाई करे. इस सपना को पूरा करने के लिए अधिकांश छात्र कनाडा को चुनते हैं और अपने सपने को पूरा करते हैं. हालांकि, अब भारतीय समेत अन्य देशों के छात्रों का कनाडा से मोह भंग होता नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि कनाडा की ट्रूडो सरकार ने हाल के दिनों में ही स्टडी परमिट जारी करने पर लिमिट लगाई है, जिसके बाद से छात्र कनाडा के बजाय दूसरे देशों में एडमिशन ले रहे हैं. इस कारण से कनाडा को अब हजारों करोड़ रूपयों का नुकसान होने लगा है.
ऐसे वीजा पर सरकार ने लगाई रोक
कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने इस साल जनवरी में ऐलान किया था कि कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए स्टडी वीजा पर अस्थायी रोक लगाई जाने की तैयारी है. कनाडा की सरकार ने स्टूडेंट वीज़ा पर करीब 50 फीसदी की कटौती कर दी है. इस कारण भारतीय छात्रों को बड़ा झटका लगा है. कनाडा में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र ही रहते हैं. कनाडा सरकार के इस नियम से वहां के कॉलेजों को काफी नुकसान हो रहा है.
कनाडा में घटी छात्रों की संख्या
अंतरराष्ट्रीय छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कनाडा ने जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय छात्र परमिट आवेदनों पर दो साल की सीमा लागू कर दी थी. इसके बाद यहां बाहरी देशों के छात्रों का आना काफी कम हो गया. इस वजह से वहां के कॉलेजों को काफी नुकसान हुआ है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विदेशी छात्र कनाडा में ट्यूशन फीस, रहने और खाने समेत अन्य चीजों पर कुल मिलाकर 37.3 बिलियन कैनेडियन डॉलर यानी करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करते हैं. यह आंकड़ा साल 2022 का है. इतना ही नहीं देश में रेस्तरां में काम करने से लेकर डिलीवरी जैसे छोटे कामों में भी विदेशी छात्र योगदान देते हैं. इस लिहाज से देखें तो अगर कनाडा में विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आती है तो इसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. अगर कनाडा में छात्रों की संख्या आधा होती है तो करीब इस देश को 1 हजार करोड़ का नुकसान होगा.
भारतीय छात्रों की पहली पसंद कनाडा
कनाडा में भारतीय मूल के सबसे ज्यादा छात्र रहते हैं. साल 2021 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो लगभग 1.86 मिलियन इंडो-कैनेडियन हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय आप्रवासी कनाडा की आबादी का 2.4% बनाते हैं, जो चीन और फिलीपींस से अधिक है.