Pakistan: संविधान बदलने की तैयारी कर रही पाकिस्तान सरकार के सामने बड़ी मजबूरी, मौलाना के दर पर लगाई हाजिरी

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pakistan New Bill Controversy: पाकिस्तान में लाए गए संविधान संशोधन बिल पर लागातार विवाद बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में रविवार को ऐतिहासिक ‘संविधान संशोधन पैकेज’ को पेश किए बिना ही संसद को स्थगित कर दिया गया. दरअसल, इस बिल के तहत पाकिस्‍तान में वरिष्ठ न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र को तीन साल बढ़ा ने और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव किए जाने की उम्मीद है.

पाकिस्‍तानी रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बिल में करीब 22 संशोधन शामिल हैं,जिसे अभी तक पब्लिक नहीं किया गया है. वहीं, विपक्षी दल और कई एक्टिविस्‍ट इस बिल का विरोध कर रहे है. उनका कहना है कि इन संविधान में इस संशोधन का मकसद खास कानूनी पोस्ट में सरकार का दखल और सदन में मतदान के दौरान सांसदों के दल बदल से निपटने में सरकार की शक्ति बढ़ाना है.

सरकार को दो-तिहाई बहुमत की आवश्‍यकता

हालांकि पाकिस्‍तानी संसद में परित करने के लिए सरकार को दो-तिहाई बहुमत की आवश्‍यकता है. इसके लिए इसके लिए मौलाना फजलुर रहमान अहम रोल अदा कर सकते हैं. दरअसल, फजलुर रहमान की पाकिस्तान की जनता और धार्मिक गुरुओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है. उनका पूर्ण समर्थन मिलने के बाद इस बिल को लेकर हो रहे विरोध को काफी हद त‍क कम किया जा सकता है. यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार ने रविवार को प्रमुख मौलवी और दक्षिणपंथी नेता मौलाना फजलुर रहमान से मुलाकात की.

मौलाना की पाक में कितनी ताकत?

बता दें कि मौलाना फजलुर रहमान की जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम {(फजल)JUI-F} पार्टी के पास संसद में 8 और सीनेट में 5 सांसद हैं. वैसे तो मौलाना ने संशोधनों का समर्थन किया है लेकिन पूरे पैकेज को मंजूरी देने से पहले इसमें पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को भी शामिल करने की मांग की है, जिससे एक आम सहमति बन सके.

जनता की भलाई के लिए है बिल

सूचना मंत्री अत्ता तरार ने बताया कि संसद में संविधान संशोधन बिल देर से पेशकश किया गया है क्योंकि सहमति बनाने के लिए बातचीत जारी है. साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा कि ये बदलाव आम लोगों की भलाई के लिए हैं जिसका सकारात्‍मक प्रभाव होगा.

संविधान में ये बदलाव करने जा रही पाक सरकार?

बता दें कि पाकिस्‍तानी कानून के मुताबिक अनुच्छेद 179 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश की सर्विस आयु 65 वर्ष की है, जबकि अनुच्छेद 195 में, हाई कोर्ट के न्यायाधीश 62 साल तक अपने पद पर रहते हैं. सरकार के प्रस्तावित संशोधन में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सर्विस को तीन साल बढ़ाने की बात कही गई है. इसके अलावा सरकार सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति में भी बदलाव पर विचार कर रही है, जिसमें सिर्फ सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया जाता है. वहीं, पाकिस्‍तान सरकार का अनुच्छेद 63-ए में भी संशोधन का प्लान है, जो सांसदों के दल बदल से संबंधित है.

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