Andhra Pradesh Panduranga Swamy Temple: भारत में विभिन्न प्रकार के कई प्राचीन मंदिर हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. कुछ मंदिरों के रहस्यों को तो अभी तक सुलझाया भी नहीं जा सका है. इस बीच आपको हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां केवल दर्शन मात्र से ही लोग शराब पीना छोड़ देते हैं. वहीं, अगर कोई भगवान के सामने झूठी कमस खा ले तो उसे पांडुरंगा स्वामी 3 महीने के अंदर दंडित करते हैं. आइए आपको बताते हैं यह मंदिर कहां हैं और इसकी मान्यता क्या है?
दरअसल, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पांडुरंगा स्वामी मंदिर है. यह मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान के दर्शन से लोग शराब पीना छोड़ देते हैं. वही, अगर लोग झूठी कसम खाते हैं तो उनको भगवान सजा भी देते हैं.
जानिए मंदिर का रहस्य
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पांडुरंगा स्वामी मंदिर अनंतपुर के रायदुर्गम के उंटाकल्लू गांव में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग नशे के आदी हैं, वो अगर इस मंदिर में ध्यान से पूजा करें तो उनकी शराब की लत छूट जाती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पांडुरंगा स्वामी की महिमा अपरम्पार है. दिन भर में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. परंपरा के अनुसार शराब के नशे के आदी लोगों को यहां भगवान के दर्शन के बाद पांडुरंगा माला पहनने को दी जाती है. वहीं, दावा किया जाता है कि इस माला के प्रभाव से धीरे-धीरे लोग शराब के नशे की लत से मुक्त हो जाते हैं.
इस माला की महिमा जानिए
आपको जानना चाहिए कि पांडुरंगा माला पहनने को लेकर कई नियम बनाए गए हैं. यह माला महीने में केवल शुक्ल एकादशी और कृष्ण एकादशी के दिन ही पहनी जाती है. बता दें कि इस मंदिर में कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से लोग शराब की लत छुड़ाने की मनोकामना लेकर आते हैं और भगवान का दर्शन पूजन करते हैं.
जो भी लोग यह माला पहनना चाहते हैं उनको 100 रुपये का भुगतान करना होता है. इसे लेने के लिए एकादशी तिथि से कुछ दिन पहले मंदिर में से एक टोकन प्राप्त करना होता है. मंदिर के मुख्य पुजारी टोकन नंबर के आधार पर ही भक्तों के गले में माला पहनाते हैं. सबसे खास बात है कि माला के लिए दिए गए 100 रुपये को छोड़कर श्रद्धालुओं से कोई पैसा नहीं लिया जाता है. जो भक्त भी यह माला धारण करते हैं उनको लगातार तीन एकादशी तिथियों पर मंदिर में पूजन के लिए आना होता है और भगवान के दर्शन करने होते हैं.
(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. ‘द प्रिंटलाइंस’ इसकी पुष्टी नहीं करता है.)