Premanand Ji Statement: लालच बुरी बला है. लालच में पड़ा इंसान अपना जीवन तबाह कर लेता है. वहीं, वह कभी भी सुखी नहीं रह पाता है. ऐसा इंसान हमेशा भोग-विलास और माया के जाल में फंसा रहता है. देश के महान आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज से जानिए कि कैसे लालची इंसान अपना नुकसान करता है और लालच से कैसे खुद को बचाया जा सकता है.
क्या कहते हैं प्रेमानंद जी महाराज
देश के महान आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि धन के लोभ की फांसी अपने गले में ना डालने वाला या तो भगवान है या फिर वो भगवान को प्राप्त करने वाले महापुरुष हैं. उन्होंने बताया कि मानव जीवन में तीन चीजें ऐसी हैं जो इंसान को भगवत की प्राप्ति नहीं करने देती है. प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार यह तीन चीजें कंचन, कामिनी और कीर्ति हैं.
आपको जानना चाहिए कि कंचन का तात्पर्य धन से ही है. महाराज जी ने बताया कि कंचन, कामिनी और कीर्ति को मनुष्य के जीवन की तीन ऐसी खाई है जिससे वह भगवत की प्राप्ति में बाधा है. धन का उपयोग मनुष्य इंद्रियों पर खर्च करने के लिए करता है. जिसका कोई अंत नहीं है.
कहानी से समझाया महत्व
एक वीडियो में देखने को मिलता है कि आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज ने राजा ययाति और देवयानी की कहानी सुनाई. इस दौरान उन्होंने बताया कि सुक्राचार्य जी की पुत्री देवयानी जी बहुत ही सुंदर थीं. ययाति और उनका विवाह हुआ. विलास सुख भोगा. लेकिन जब बुजुर्ग हो गए तो अपने पुत्र का यौवन लेकर फिर से विलास भोग किया. लेकिन अंत तक भी कुछ नहीं मिला. उन्होंने इस कथा के माध्यम से बताया कि जो व्यक्ति भगवान से विमुख इंसान को चाहें दुनियाभर का भोग-विलास का सामान भी दे दिया जाए तो भी ऐसे लोगों को कभी भी मुक्ति नहीं मिलती है. बड़े-बड़े महात्माओं ने देखा. भोगों से कभी शांति नहीं मिली बल्कि सिर्फ उन्हें ही तृप्ति मिली जिन्होंने अपने जीवन में भोगों का त्याग किया.
प्रेमानंद जी महाराज का कथन जानिए
आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि अगर इंसान भोग विलास में रूचि ना रखते हुए उत्तम ध्यान के भाव को भगवान में लगाए और सही जगह पर लगाए तो उसे इस लोक में भी तृप्ति मिल सकती है.
(अस्वीकरण: लेख में दी गई जानकारी सामान्य मीडिया रिपोर्ट्स और प्रचलित वीडियोज के आधार पर लिखीं गई हैं. ‘द प्रिंटलाइंस’ इसकी पुष्टी नहीं करता है. )